सड़क, स्वास्थ्य व बिजली कुब्बा गांव के लिए सपना

प्रखंड मुख्यालय से 10 किमी दूर जोगियारा पंचायत अंतर्गत कुब्बा गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है.

By ANUJ SINGH | August 2, 2025 8:29 PM
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प्रतापपुर. प्रखंड मुख्यालय से 10 किमी दूर जोगियारा पंचायत अंतर्गत कुब्बा गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. इस गांव के लोग सड़क, बिजली, पानी समेत बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. गांव में बैगा, बिरहोर, भोक्ता व गंझू जाति के लोग निवासी करते है. ग्रामीण सुविधा के अभाव में किसी तरह जीवन यापन करने को विवश हैं. शिक्षा के नाम पर गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है, जहां बच्चों की पढ़ाई होती है. गांव में उच्च विद्यालय नहीं है. आगे की पढ़ाई से बच्चे वंचित हो जाते हैं. गांव की आबादी करीब 200 हैं. ग्रामीणों के अनुसार दूसरे गांव तक आने-जाने के लिए समुचित सड़क की सुविधा नही है. पहाड़ियों के सहारे वे आवागमन करते हैं. पुरानी सड़क पर बोल्डर निकला है, जो चलने के लायक भी नहीं है. सड़क के अभाव में कुब्बा गांव में आज तक चार पहिया वाहन या एंबुलेंस नहीं पहुंचा है. शादी-व्याह के दौरान दुल्हा-दुल्हान को बाइक पर बैठकर लोहड़ी मुख्य सड़क तक ले जाया जाता है. सड़क नहीं रहने के कारण गांव में विकास नहीं हुआ है. मालूम हो की गुरुवार को खेलने के दौरान आहर में डूबने से आठ वर्षीय भोला गंझू के पुत्र अजय की मौत हो गयी थी. सड़क के अभाव में शव को पोस्टमार्टम के लिए अजय के पिता को बेटे के शव को कंधे पर टांगकर पहाड़ी रास्ता से लोहड़ी मुख्य पथ पर आना पड़ा था, तब वाहन से शव को सदर अस्पताल ले जाया गया. इसी तरह डेढ़ माह पहले गर्भवती कपिला देवी की स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में गांव में प्रसव करायी गयी थी. बरसात में होती है सबसे अधिक परेशानी:

ग्रामीण छठू गंझू व राजेश बैग के अनुसार कुब्बा गांव नदी व पहाड़ियों से घिरा है. बरसात में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अनिता देवी, बिफनी देवी व संगीता देवी कहा की आज तक स्वास्थ्य कर्मी, ममता वाहन या एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंचा है. गर्भवती महिलाओं को प्रसव गांव की कुछ महिलाएं कराती हैं. ज्यादा तबीयत बिगड़ने पर खाट पर सुलाकर पहाड़ी के रास्ते 10 किमी दूर प्रतापपुर अस्पताल ले जाना पड़ता है. कई बार बेहतर इलाज नहीं होने के कारण लोगों की मौत हो चुकी है. नरेश बैगा कहा की बिजली एक सपना बनकर रह गया है. गांव में बिजली बहाल करने के लिए आज तक सरकार ने गंभीरता नहीं बरती. आज भी लालटेन का वे प्रयोग करते हैं. कुछ लोग सोलर-बैट्री के प्रयोग करते है. संध्या होने के बाद गांव में अंधेरा पसर जाता है. सांप-बच्छू के काटने का डर बना रहता है. कमल गंझू ने कहा की गांव में पेयजल की सुविधा के लिए ठोस व्यवस्था नहीं किया गया है. आज भी ग्रामीण नदी, नाला व कुआं से गंदी पानी पीते हैं. गांव में जलमीनार है, लेकिन खराब पड़ा है.

कुब्बा गांव में सड़क, बिजली, पानी को लेकर दो वर्ष पहले ग्रामसभा कर उपायुक्त को आवेदन दिया गया था. इसमें कहा गया था डीएमएफटी मद से गांव का विकास किया जायेगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ. मुखिया फंड से एक जलमीनार लगाया गया है.

आशीष भारती, मुखिया

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