2000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है भगवान शिव का यह पावन धाम, महाभारत काल से है खास नाता

Sawan 2025: झारखंड के चतरा में स्थित भगवान शिव का पवित्र धाम है, "कौलेश्वरी मंदिर." यह मंदिर करीब 2000 फीट ऊंची पहाड़ पर स्थित है, जहां अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी पूजा-अर्चना की थी. कौलेश्वरी पर्वत पर भगवान शिव के साथ माता कौलेश्वरी का भी मंदिर है. यहां सावन में विशेष पूजा की जाती है.

By Rupali Das | June 22, 2025 12:18 PM
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Sawan 2025: भगवान शिव का पवित्र महीना सावन 11 जुलाई से शुरू होने वाला है. इसे लेकर झारखंड के सभी शिवालयों में तैयारियां चल रही हैं. मंदिर प्रशासन भक्तों की भीड़ और उनकी सुरक्षा को लेकर विशेष इंतजाम कर रहे हैं. मालूम हो कि सावन में भोलेनाथ के द्वार पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है. सभी बाबा का जलाभिषेक कर उनकी विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं. इस दौरान झारखंड के चतरा में स्थित कौलेश्वरी धाम का महत्व बढ़ जाता है.

महाभारत काल से है मंदिर का जुड़ाव

बता दें कि हजारों साल पुराने भोलेनाथ के यह धाम कौलेश्वरी पहाड़ पर स्थित है, जहां भगवान शिव और माता कौलेश्वरी का मंदिर है. चारों ओर से पहाड़ और हरी-भरी धरती से समृद्ध महादेव के पावन धाम में सावन के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. कहते हैं सावन माह में इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से विशेष फल प्राप्त होता है. इस मंदिर का महाभारत काल से भी खास जुड़ाव रहा है. यह पवित्र स्थल न केवल धार्मिक महत्व के साथ ही पर्यटन की दृष्टि से भी प्रसिद्ध है.

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अज्ञातवास में पांडवों ने की थी महादेव की आराधना

चतरा में कौलेश्वरी पर्वत पर स्थित पवित्र शिवालय का इतिहास हजारों साल पुराना है. इस मंदिर के पास ही कौलेश्वरी माता का भी मंदिर है, जहां सालों भर भक्त भोलेनाथ और माता कौलेश्वरी के दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. कौलेश्वरी पर्वत के आस-पास ही भक्तों को पूजा की सारी सामग्री और जल मिल जाता है. इस कारण श्रद्धालु भोले के दर पर खाली हाथ ही आते हैं. पौराणिक मान्यताओं की माने तो कौलेश्वरी शिव मंदिर में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान पूजा-अर्चना की थी. इस कारण महाभारत काल से भी मंदिर का खास नाता है.

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2000 फीट ऊंची पहाड़ी पर है मंदिर

जानकारी के अनुसार, कौलेश्वरी पर्वत पर एक सरोवर है. यहां स्नान करने के बाद ही श्रद्धालु शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं. सावन में कौलेश्वरी शिव मंदिर में भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस दौरान प्राचीन मंदिर में रात भर भजन-कीर्तन का आयोजन होता है, जिसमें भक्त शामिल होते हैं. महाभारत काल का यह मंदिर लगभग 2000 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. यहां आकर भक्तों को अपार शांति और सुकून का अनुभव प्राप्त होता है.

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