संवाददाता, देवघर : श्रावणी मेले में बाबा नगरी में हर दिन कांवरियों की भीड़ उमड़ रही है. बाबा मंदिर परिसर में स्थित महाकाल भैरव का मंदिर भी श्रद्धालुओं की विशेष आस्था का केंद्र है. यह मंदिर बाबा भोलेनाथ के गर्भगृह के ठीक बगल में दक्षिण दिशा में स्थित है. मान्यता है कि कांवर यात्रा के दौरान महाकाल भैरव अदृश्य रूप में हर भक्त के साथ रहते हैं और उन्हें हर संकट से बचाते हैं. यही कारण है कि बाबा भोलेनाथ व माता पार्वती पर जलार्पण के बाद अधिकांश कांवरिये भैरव मंदिर जाना नहीं भूलते. यहां जलार्पण कर वे महाकाल भैरव के चरणों में बैठकर यात्रा की सफलता के लिए मन्नत मांगते हैं. महाकाल भैरव का वाहन कुत्ता माना गया है. इसलिए कांवरिये यात्रा के दौरान रास्ते में कुत्तों को देखकर भैरो बम कहकर पुकारते हैं. यह परंपरा भी आस्था से जुड़ी हुई है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है. कहा जाता है कि महाकाल भैरव की कृपा से ही कठिन से कठिन यात्रा भी सहज हो जाती है. बाबा मंदिर इस्टेट के पुरोहित श्रीनाथ पंडित बताते हैं कि हरेक ज्योतिर्लिंग में सबसे पहले भैरव का स्थान होता है. उनके बाद भोलेनाथ वहां निवास करते हैं. भैरव भगवान शिव के ही रक्षक स्वरूप हैं, जो अपने भक्तों की हर संकट से रक्षा करते हैं. यही कारण है कि बाबा नगरी आने वाले श्रद्धालु भैरव मंदिर जाना नही भूलते. एक लाख से अधिक कांवरियों ने चढ़ाया जल गुरुवार को बाबा मंदिर का पट खुलने के बाद पुजारी छोटेलाल झा ने कांचा जल पूजा की. इसके बाद बाबा की सरदारी पूजा की गयी. सुबह सवा चार बजे से आम कांवरियों के लिए जलार्पण प्रारंभ कर दिया गया. पट खुलने से पहले बीएड कॉलेज तक कांवरियों की कतार पहुंच गयी थी. वहीं दोपहर तीन बजे के बाद से यह कतार जलसार चिल्ड्रेन पार्क तक सिमट गयी. शाम सात बजे तक मुख्य एवं बाह्य अरघा से कुल एक लाख से अधिक कांवरियों ने जलार्पण किया. इनमें से 5033 कांवरिये ऐसे थे, जिन्होंने कूपन लेकर प्रशासनिक भवन के रास्ते गर्भ गृह में प्रवेश कर मुख्य अरघा में जलार्पण किया. हाइलाइट्स – बाबा धाम में जलार्पण के बाद भक्त भैरव मंदिर में चढ़ाते हैं जल, मांगते हैं यात्रा की सफलता की मन्नत
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