बाबाधाम में कब है होली? कब होगा होलिका दहन? बाबा मंदिर में कैसे मनती है होली? पढ़ें विस्तार से

Deoghar Ki Holi: बाबानगरी देवघर की होली बेहद खास होती है. यहां होली की शुरुआत की एक परंपरा है. उसी के अनुरूप हर साल होली मनायी जाती है. यहां पढ़ें, क्या है बाबानगरी की परंपरा और कैसे मनती है यहां की होली.

By Mithilesh Jha | March 13, 2025 2:23 PM
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Deoghar Ki Holi| देवघर, संजीव मिश्रा : धार्मिक आस्था और जीवंत संस्कृति की पहचान वाले देवघर शहर में होली का उत्सव मनाने की अलग परंपरा है. देवघर में होली, केवल रंगों के त्योहार के रूप में नहीं मनाया जाता. यहां हरि (भगवान विष्णु) और हर (बाबा बैद्यनाथ) के प्रति आस्था का एक अद्भुत संगम भी देखने को मिलता है. ऐसी मान्यता है कि बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के दरबार में होली की शुरुआत फाल्गुन मास पूर्णिमा से हुई थी. इसी दिन, भगवान विष्णु (हरि) ने रावण को शिवलिंग को लंका ले जाने से रोका था और बैजनाथ का रूप धरकर अपनी माया से देवघर में सती के हृदय पर स्थापित किया था. इसलिए यह दिन हरि-हर मिलन और और बाबा बैद्यनाथ का स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है.

  • बाबा पर गुलाल चढ़ा कर शुरू होगी बाबा नगरी की होली
  • आज शाम 4 बजे के बाद दोलमंच के लिए प्रस्थान करेंगे हरि
  • रात 10:50 बजे होलिका दहन, 11:30 बजे हरि-हर मिलन

देवघर में हरि-हर मिलन से होती है होली की शुरुआत

यही वजह है कि यह दिन नगरवासियों के लिए बेहद खास है. यहां होली की शुरुआत हरि-हर मिलन से होती है. सबसे पहले बाबा बैद्यनाथ पर अबीर चढ़ाया जाता है. हरि-हर मिलन के बाद, मंदिर प्रांगण में भक्त होली का उत्सव धूमधाम से मनाते हैं. देवघर में होली का त्योहार केवल मंदिर तक ही सीमित नहीं रहता. बाबा बैद्यनाथ पर अबीर-गुलाल अर्पित कर लोग शहर के हर गली-मोहल्ले में एक-दूसरे को रंग लगाते हैं. मिठाइयां बांटते हैं और होली के गीत गाते हैं.

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13 मार्च को देवघर में होगी सूखी होली, 10:50 बजे होलिका दहन

बाबा नगरी में मंदिर की ओर से जारी निर्धारित समय और तिथि के अनुरूप ही होली मनाने की मनाने की परंपरा है. बाबा मंदिर के इस्टेट पुरोहित श्रीनाथ पंडित ने जो तारीख और समय तय की है, उसे मंदिर प्रशासन ने मंदिर के सभी मुख्य दरवाजे पर टांग दिया है. बाबा नगरी में गुरुवार को सूखी होली यानी गुलाल वाली होली मनायी जायेगी. गुरुवार को बाबा बैद्यनाथ का स्थापना दिवस हरि-हर मिलन के तौर पर मनाया जायेगा. इस दिन रात 10:50 बजे होलिका दहन और 11:30 बजे हरि-हर मिलन का आयोजन किया जायेगा. रात के 11:30 बजे बाबा को अबीर चढ़ाये जाने के बाद शृंगार पूजा होगी. इसके बाद पट को बंद कर दिया जायेगा.

शाम 4 बजे ही खुल जायेगा बाबा मंदिर का पट

गुरुवार को बाबा मंदिर के भीतरखंड में स्थित राधा-कृष्ण मंदिर से भगवान हरि यानी कृष्ण को दोल मंच के लिए प्रस्थान कराया जायेगा. इसके पहले बाबा मंदिर का पट खोलकर राधा-कृष्ण मंदिर में भगवान हरि पर गुलाल अर्पित करने के बाद सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा बाबा पर गुलाल अर्पित कर होली प्रारंभ करेंगे. भगवान कृष्ण के पुजारी सह मंदिर उपचारक बताते हैं कि बाबा मंदिर में जलार्पण के बाद साढ़े 3 बजे मंदिर का पट बंद होगा. उसके बाद 4 बजे फिर से पट को खोल दिया जायेगा. पट खुलने के पहले मंदिर महंत हरि को गुलाल अर्पित करेंगे. बाबा मंदिर के गर्भगृह में शाम 4 बजे के बाद श्रीश्री सरदार पंडा बाबा पर गुलाल अर्पित कर होली की शुरुआत करेंगे. इसके बाद हरि को दोल मंच के लिए निकाला जायेगा.

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मंदिर परिसर में रात 10:50 बजे होगा होलिका दहन

परंपरा के अनुसार, फगडोल पर होलिका की विशेष पूजा होगी. यहां पर मंदिर की ओर से पुजारी पंडित दुर्गा प्रसाद होलिका की पूजा करके रात के 10:50 बजे होलिका दहन करेंगे. उसके बाद फिर डोली पर बिठाकर भगवान को पश्चिम दरवाजे के रास्ते बाबा मंदिर लाया जायेगा. तय समय पर रात के 11:30 बजे हरि-हर मिलन की परंपरा संपन्न कर बाबा बैद्यनाथ का स्थापना दिवस मनाया जायेगा. हरि-हर मिलन देखने के लिए मंदिर के गर्भगृह में भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ेंगे. मिलन के अवसर पर भारी मात्रा में हरि और हर को गुलाल अर्पित किया जायेगा.

फगडोल पर दोल मंच तक भ्रमण करेंगे हरि, निकलेगी शोभा यात्रा

ढोल-ढाक के साथ भगवान हरि की भव्य शोभा यात्रा निकाली जायेगी. भगवान को डोली में बिठाकर मंदिर की परिक्रमा करायी जायेगी. उसके बाद मंदिर के पश्चिम द्वार से डोली निकलेगी, जो सरदार पंडा लेन होते हुए सिंह द्वार, पूरब द्वार होते हुए बड़ा बाजार के रास्ते से आजाद चौक स्थित फगडोल तक जायेगी. इस दौरान मंदिर के सभी मुख्य द्वार पर डोली को रोककर विशेष भोग लगाया जायेगा. रास्ते में पड़ने वाले सभी चौराहों पर भोग लगाया जायेगा. रास्ते में भक्त डोली पर विराजमान भगवान को गुलाल अर्पित करेंगे. उसके बाद भगवान को फग डोल पर लगे झूले पर बिठाकर भंडारी झुलायेंगे. इस दौरान शहरवासी फगडोल पर आकर गुलाल अर्पित करेंगे.

हरि-हर मिलन के बाद बाबा की होगी शृंगार पूजा

परंपरा के अनुसार, रात 11:30 बजे हरि-हर मिलन के बाद बाबा की शृंगार पूजा की जायेगी. हरि-हर मिलन के तुरंत बाद मंदिर की सफाई कर शृंगार पूजा होगी. उसके बाद मंदिर का पट बंद कर दिया जायेगा.

भगवान को लगाया जायेगा विशेष भोग

हरि-हर मिलन के बाद भगवान हरि को मंदिर में उपचारक भक्तिनाथ फलहारी के द्वारा विशेष भोग अर्पित किया जायेगा. मंदिर में भगवान को छप्पन भोग के अलावा मालपुआ सहित दर्जनों प्रकार के मिष्ठान्न आदि भोग का भोग लगाया जायेगा. इसके विशेष आरती होगी. भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण भी किया जायेगा.

चतुर्मास खप्पर पूजा का हो जायेगा समापन

चार महीने से प्रज्ज्वलित खप्पर की विशेष पूजा के बाद इसका समापन किया जायेगा. इस अवसर पर नगर कुमारी बटुक भोजन के आयोजन के साथ-साथ प्रसाद का भी वितरण किया जायेगा.

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