शिवगंगा कुंड में स्नान का महत्त्व
बाबा धाम आने वाले श्रद्धालुओं को जलाभिषेक करने से पूर्व शिवगंगा कुंड में अवश्य स्नान करना चाहिए. यहां स्नान किये बिना भूलकर भी जलाभिषेक नहीं करना चाहिए. शिवगंगा कुंड में स्नान किये बिना जलाभिषेक करने से पूजा अधूरी मानी जाती है. धार्मिक मान्यता है कि स्वयं लंका पति रावण ने शिवगंगा कुंड की स्थापना की थी. बाबाधाम में शिवलिंग की स्थापना के साथ ही इस कुंड का भी इतिहास जुड़ा हुआ है.
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रावण ने की थी कुंड की उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण जब शिवलिंग लेकर लंका जा रहा था, तभी उसे लघुशंका लगी. लघुशंका के बाद रावण को शुद्धि के लिए जल की आवश्यकता हुई. आसपास कहीं जल नहीं मिलने पर उसने कुंड की उत्पत्ति की. कहा जाता है रावण ने इस कुंड के जल से सबसे पहले भगवान शिव का जलाभिषेक किया था. इसी कारण इस कुंड का नाम शिवगंगा पड़ा.
स्नान मात्र से शरीर के रोग होते हैं दूर
शिव पुराण में इस बात का उल्लेख है कि शिवगंगा में देवताओं के बाद अश्विनी कुमार ने भी स्नान किया था. उन्होंने स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा भी की थी. उन्होंने ने ही यह कहा था कि इस पवित्र कुंड में जो भी स्नान करेगा, उसके सभी रोग दूर हो जायेंगे. इसके साथ ही बिना शिवगंगा में स्नान किए भगवान भोलेनाथ की पूजा अधूरी मानी जाएगी.
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