प्रभात संवाद में बोले डॉ प्रशांत भल्ला- छात्र अपना लक्ष्य बड़ा रखें, शॉर्टकट नहीं तलाशें, सफलता अवश्य मिलेगी

Dr Prashant Bhalla: संस्थान में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को मॉडर्न एरा में जरूरत के मुताबिक स्किल्ड बनाया जाता है. बच्चे खुद को ग्लोबल कंपीटीशन के लिए कैसे तैयार करें, उनके सामने क्या चुनौतियां हैं, बिहार-झारखंड के बच्चों को कैसे अवसर मिल सकता है, इन सारे मुद्दों पर बुधवार को देवघर पहुंचे इस यूनिवर्सिटी के संस्थापक डॉ ओपी भल्ला के पुत्र और मानव रचना यूनिवर्सिटी के चांसलर व मानव रचना शिक्षण संस्थान के प्रेसिडेंट डॉ प्रशांत भल्ला से प्रभात खबर ने खास बातचीत की. प्रस्तुत है संजीत मंडल की डॉ प्रशांत भल्ला से खास बातचीत के अंश.

By Mithilesh Jha | May 22, 2025 4:16 PM
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Dr Prashant Bhalla in Deoghar: वर्ष 1997 में डॉ ओपी भल्ला ने फरीदाबाद में मानव रचना संस्थान की स्थापना एक इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट के रूप में की थी. आज इस शिक्षण संस्थान में 135 से अधिक कोर्स संचालित किये जा रहे हैं. मानव रचना यूनिवर्सिटी बेस्ट 100 यूनिवर्सिटी में से एक है. यहां की पढ़ाई की गुणवत्ता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इस यूनिवर्सिटी को टाइम्स हायर एजुकेशन की गोल्ड रेटिंग प्राप्त है. संस्थान में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को मॉडर्न एरा में जरूरत के मुताबिक स्किल्ड बनाया जाता है. बच्चे खुद को ग्लोबल कंपीटीशन के लिए कैसे तैयार करें, उनके सामने क्या चुनौतियां हैं, बिहार-झारखंड के बच्चों को कैसे अवसर मिल सकता है, इन सारे मुद्दों पर बुधवार को देवघर पहुंचे इस यूनिवर्सिटी के संस्थापक डॉ ओपी भल्ला के पुत्र और मानव रचना यूनिवर्सिटी के चांसलर व मानव रचना शिक्षण संस्थान के प्रेसिडेंट डॉ प्रशांत भल्ला से प्रभात खबर ने खास बातचीत की. प्रस्तुत है संजीत मंडल की डॉ प्रशांत भल्ला से खास बातचीत के अंश.

मानव रचना शिक्षण संस्थान कैसे वर्ल्ड वाइड जाना माना शिक्षण संस्थान बन गया है?

मानव रचना शिक्षण संस्थान की शुरुआत मेरे पिता स्व ओपी भल्ला ने 1997 में की थी. उस समय फरीदाबाद में कोई प्राइवेट एजुकेशन इंस्टूट्यूशन नहीं था. सारे बच्चे इंजीनियरिंग-मेडिकल की पढ़ाई करने बाहर जाते थे. इस कमी को देखते हुए यहां एक शिक्षण संस्थान के रूप में 180 स्टूडेंट के बैच के साथ इस संस्थान की शुरुआत हुई. क्वालिटी एजुकेशन के कारण आज 135 से भी अधिक कोर्स संचालित हो रहे हैं. यह शिक्षण संस्थान देश की 100 बेस्ट प्राइवेट यूनवर्सिटी में शामिल है. नैक ए प्लस प्लस, क्यू एस 5 स्टार रेटिंग, टाइम्स हाइयर एजुकेशन की गोल्ड रेटिंग प्राप्त यूनिवर्सिटी है.

दुनिया के अन्य देशों में भारत के छात्रों के सामने क्या चुनौतियां हैं?

देखिये, दुनिया में भारत के बच्चों के लिए अपार संभावनाएं हैं. अब फ्रांस, जर्मनी, जापान, इटली में ज्यादा अवसर मिल रहे हैं. लेकिन, यहां के बच्चों के सामने भाषा ज्ञान बहुत बड़ी समस्या बन रही है. इसलिए हमारी यूनिवर्सिटी बच्चों को एकेडमिक शिक्षा, टेक्निकल, मेडिकल व अन्य शिक्षा में दक्ष बनाने के साथ-साथ भाषाई ट्रेनिंग व पर्सनालिटी डेवलपमेंट पर विशेष फोकस करती है. ताकि बच्चों को दूसरे देशों में अवसर मिले, तो वे वहां सहज महसूस कर सकें.

ग्लोबल डिमांड के अनुसार बच्चों को तैयार करने से क्या तात्पर्य है?

ग्लोबल डिमांड से हमारा मतलब है कि विश्व में जितनी भी इंडस्ट्रीज हैं, उसकी डिमांड क्या हैं. उनकी डिमांड के अनुरूप कोर्स का चयन करने के लिए हम छात्र-छात्राओं को प्रेरित करते हैं, ताकि जो स्टूडेंट विदेशों में इंडस्ट्रीज या अन्य सेक्टर में अवसर तलाशना चाहते हैं, उन्हें दिक्कत नहीं हो. इसी अनुरूप मानव रचना यूनिवर्सिटी स्किल्ड स्टूडेंट तैयार करते हैं. देश हो या विदेश, सैंकड़ों कंपनियां हैं, जिनसे हमारा टाइअप है, जहां हमारी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को प्लेसमेंट भी मिल रहा है. हमारे शिक्षण संस्थान में बच्चों के होलिस्टिक डेवलपमेंट की बात होती है. बच्चों को इंश्योर करते हैं कि जब वे पढ़कर बाहर निकलें, जिस स्किल की जरूरत उन्हें है, उसी अनुरूप अपना करियर चुनें.

बिहार और झारखंड के छात्र-छात्राओं के लिए आप क्या कहना चाहेंगे?

झारखंड हो या बिहार, यहां से प्रतिवर्ष 200-250 स्टूडेंट मानव रचना शिक्षण संस्थान के स्कूल में दाखिला लेते हैं. इन छात्रों को पढ़ाई का बेहतर माहौल देने के लिए स्टूडेंट फैसिलिटेशन सेंटर, इंटरनेशनल सेंटर आदि बनाये गये है. यहां के बच्चों को पारिवारिक माहौल मिलता है. हम सिर्फ एकेडमिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि मूल्य आधारित शिक्षा देते हैं. बिहार-झारखंड ही नहीं हमारे यहां जो भी बच्चे आते हैं, सभी को फुल सपोर्ट रहता है.

बिहार और झारखंड के छात्रों का किन कोर्सेज में अधिक रुझान रहता है?

बिहार-झारखंड के छात्रों का अधिक रुझान इंजीनियरिंग व कंप्यूटर एप्लीकेशन से संबंधित कोर्सेज में रहता है. हाल के दिनों में मैन्युफैक्चरिंग में छात्रों का रुझान बढ़ता दिख रहा है. इंडस्ट्री की डिमांड के साथ छात्रों का रुख भी बदलता रहता है.

स्किल डेवलपमेंट को लेकर मानव रचना दूसरों से अलग कैसे है?

स्किल डेवलपमेंट आज के दौर में बेहद महत्वपूर्ण है. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में भी इंटीग्रेशन ऑफ वोकेशनल एजुकेशन एवं मेन स्ट्रीम एजुकेशन में इस पर काम किया गया है. मानव रचना में स्किल डेवलपमेंट पर मेजर फोकस किया जाता है. संस्थान ने कई इंडस्ट्री पार्टनर को अपने साथ जोड़ा है. इनमें इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट, जीबिया, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज आदि प्रमुख हैं. संस्थान के हर कोर्स को इंडस्ट्री की डिमांड के अनुसार तैयार किया गया है और इनमें प्रोफेशनल्स को जोड़ा गया है, जो छात्रों का मार्गदर्शन करते हैं. हम छात्रों को यह भी बताते हैं कि वे मेन कोर्स के साथ कैसे उससे संबंधित कोर्स करके अपनी स्किल्स को इंप्रूव कर सकते हैं. संस्थान का लक्ष्य छात्रों को नये बदलाव के अनुसार भविष्य की संभावनाओं के लिए तैयार करना है.

सीबीएसइ ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा वर्ष में दाे बार आयोजित करने की पॉलिसी तैयार किया है. इसे आप कैसे देखते हैं?

बोर्ड परीक्षाओं का छात्रों पर काफी दबाव रहता है. यदि इंटरनेशनल लेवल की बात करें, तो छात्रों को केवल एक फ्रेमवर्क दिया जाता है, जिसमें उनको अपने दिमाग का इस्तेमाल कर रचनात्मकता के साथ लक्ष्यों को प्राप्त करना होता है. मुझे लगता है कि नॉलेज के साथ एप्टीट्यूड पर भी छात्रों को फोकस बढ़ाना चाहिए. किसी भी परिवर्तन का उन पर दबाव नहीं बनना चाहिए.

स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए संस्थान में किस तरह की सुविधाएं हैं?

मानव शिक्षण संस्थान में शुरुआत से ही इंफ्रास्ट्रक्चर व सुविधाओं के साथ कोच एवं ट्रेनिंग पर पूरा ध्यान दिया गया है. शूटिंग में हमने देश के टॉप शूटर्स को जोड़ा है. मनु भाकर ने हमारी एकेडमी में ट्रेनिंग ली है. गगन नारंग, आशीष बेनीवाल, श्रेयशी सिंह, विजय कुमार हमारे छात्र रह चुके हैं. मैरी कॉम हमसे जुड़ी हुई हैं. इन लोगों ने ओलिपिंक में मेडल में जीते हैं. स्पोर्ट्स नेशनल राइफल एसोसिएशन, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, रेस्लिंग फेडरेशन एवं खो-खो फेडरेशन आदि से हमने खुद को जोड़ रखा है.

कामयाबी हासिल करने के लिए विद्यार्थियों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

सभी छात्र-छात्राएं अपना लक्ष्य बड़ा रखें. कभी भी सॉर्टकट नहीं ढूंढें. सफर में कठिनाइयां आयेंगी, लेकिन इसी से गुजर कर, बाधाओं को दूर करके रास्ता भी बनेगा और आपको सफलता अवश्य मिलेगी. कभी भी छात्र ये नहीं सोचें कि गरीब हैं, तो वे पढ़ नहीं सकते. आप मेधावी हैं, आपका लक्ष्य तय है, तो मौका अवश्य मिलेगा. इस बातचीत के दौरान मानव रचना शिक्षण संस्थान के नवीन झा और अभिषेक राय भी मौजूद थे.

गरीब छात्र-छात्रा आपके संस्थान में पढ़ना चाहें, तो उन्हें कैसे अवसर मिलेगा?

गरीब छात्र-छात्राओं के लिए बहुत सारे अवसर हैं. हमारे यहां स्कॉलरशिप का प्रावधान है. 100 प्रतिशत स्कॉलरशिप देते हैं. छात्र-छात्राओं को डॉ ओपी भल्ला फाउंडेशन स्कॉलरशिप देते हैं. इसमें आवेदन कर सकते हैं. जो भी क्राइटेरिया है उसे फुलफील करें. जो मेरिटोरियस होंगे, उनकी शिक्षा के आड़े गरीबी नहीं आयेगी. संस्थान प्रतिवर्ष मानव रचना नेशनल एप्टीट्यूड टेस्ट आयोजित करता है. इसमें सफल छात्र संस्थान में प्रवेश व स्कॉलरशिप प्राप्त कर सकेंगे. ट्रस्ट ने मेधावी छात्र-छात्राओं को अब तक 4-5 करोड़ का स्कॉलरशिप दिया है. स्टेट लेवल पर स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के जरिए भी छात्र यहां दाखिला पा सकते हैं.

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