मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में क्रांतिकारी शहीद करतार सिंह, सराभा व क्रांतिकारी कवि काजी नजरूल इस्लाम की जयंती पर और क्रांतिकारी गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी की पुण्यतिथि पर याद किया गया. उपस्थित लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. वहीं, धनंजय प्रसाद ने कहा कि करतार सिंह सराभा ने देश की आजादी के लिए लड़ते रहे. उन्हें अंग्रेजी हुकूमत ने मात्र 19 वर्ष के उम्र में फांसी पर लटका दिया था. भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी उनसे प्रेरित हुए वो आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है. उन्होंने कहा कि नजरूल इस्लाम एक क्रांतिकारी विद्रोही कवि संगीतकार थे. उनका परिचय भारत ही नहीं विश्व जगत के संगीत व काव्य प्रेमियों के बीच रही है. वे बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति थे. संगीतकार, नाटककार, कथाकार, कवि व गीतकार के रूप में प्रतिष्ठित थे. उन्होंने चार हजार से अधिक गीतों की रचना की है. बंगाल में आज भी नजरुल संगीत की घर- घर में पहचान है. उन्होंने आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और ताजिंदगी शोषण, अत्याचार व सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध लड़ते रहे. उन्होंने कहा कि मजरुह सुल्तानपुरी देश के ख्याति प्राप्त गीतकारों में एक थे. जिनकी गीतों की धूम साठ की दशक में फिल्म जगत व जनमानस में मंचीय हुई थी. आज भी उनकी गीत बड़े ही प्यार से सुनें जाते हैं.
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