श्रावण की पूर्णिमा को भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन धूमधाम से मनाया गया. सोमवार को श्रावण की अंतिम सोमवारी व पूर्णिमा तिथि एक साथ होने के कारण इस शुभ संयोग का लाभ भक्तों को मिला. मिथिला पंचांग के अनुसार श्रावण पूर्णिमा भद्रा के साये से मुक्त था, जबकि बनारस व ऋषिकेश पंचांग के अनुसार दोपहर 1.32 बजे तक भद्रा का साया था. मिथिला पंचांग को माननेवाली बहनों ने सुबह से ही आरती की थाल सजाकर भगवान को राखी चढ़ाकर अपने भाइयों की कलाई को सुशोभित किया. उन्हें तिलक लगाकर बलाएं लेकर दुआएं दी. उनकी आरती उतार कर मिठाई खिलायी. ऋषिकेश पंचांग को माननेवाली बहनें दिन के 1.32 बजे के बाद भाई की कलाई पर राखी बांधी. बहनों ने भाई के स्वस्थ जीवन व लंबी उमर के लिए भगवान से प्रार्थना की. कुछ बहनें भाई को राखी बांधने ससुराल से मायके पहुंचीं, तो कुछ पहले ही राखी कुरियर या डाक सेवा से भेज दी थी. दिन भर रक्षाबंधन को लेकर गहमा गहमी रही. बहनों ने राखी बांधकर भाइयों को दुआएं दीं, वहीं भाइयों ने भी बहनों की रक्षा का संकल्प लेकर उन्हें उपहार दिया.
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