
रामटेक के सांसद श्यामकुमार दौलत बर्वे ने बुधवार को सदन में कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफ) में हुई डीएचएफएल घोटाले की जांच की मांग की है. साथ ही मामले में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है. सांसद श्री बर्वे ने सदन को बताया कि देश के कोयला मजदूरों के खून पसीने की कमाई की भविष्य निधि सीएमपीएफ में जमा होती है. सीएमपीएफ ने बहुत बड़ा घोटाला किया. इसमें कोयला कामगारों के पैसे डीएचएफएल नामक कंपनी में निवेश किये. सीएमपीएफ ने वर्ष 2014-15 में डीएचएफएल को 1390 सौ करोड़ रुपये निवेश किया था. इसमें से डीएचएफएल ने 662.58 करोड़ रुपये ही वापस किया है.
क्या है सीएमपीएफ-डीएचएफएल मामला
: जानकारी के मुताबिक सीएमपीएफ के पोर्टफोलियो मैनेजरों एसबीआई व यूटीआई ने वर्ष 2015-18 तक डीएचएफएल में 1390.25 करोड़ का निवेश किया था. वर्ष 2019 में डीएचएफएल की रेटिंग गिरने लगी. इसके बाद मार्च 2019 में पोर्टफोलियो मैनेजरों ने रिडेम्पशन क्लॉज के तहत सीएमपीएफ डीएचएफएल की गिरती रेटिंग की जानकारी देते हुए निवेश की गयी राशि वापस लेने की अनुमति मांगी. 20 मार्च को सीएमपीएफ आयुक्त के समक्ष फोर्टफ़ोलियो मैनेजरों की सूचना रखी गयी. 25 मार्च 2019 को आयुक्त ने 26 मार्च 2019 को होने वाले बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की 171 वीं बैठक के एजेंडे में इसे शामिल करने की स्वीकृति दी. परंतु डीएचएफएल में निवेशित राशि को वापस लेने के प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो सकी. इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर फेंका-फेंकी चलती रही. सीएमपीएफ बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की 172 वीं बैठक 20 दिसंबर 2019 तब होती है, जबतक डीएचएफएल डूब जाता है. इसका परिणाम यह रहा कि सीएमपीएफ का 727.67 करोड़ रुपये डूब गये. मामले प्रकाश में तब आया जब 727.67 करोड़ रुपये के राइट ऑफ करने का मामला बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की मीटिंग में लाया गया. जहां यूनियन प्रतिनिधियों ने राइट ऑफ पर सहमति देने से इंकार कर दिया. कैग के जांच व अनुशंसा के बाद कोयला मंत्रालय के विजलेंस ने मामले की जांच की. जिसकी रिपोर्ट भी जमा कर दी गयी है. दोषियों को चिन्हित भी कर लिया गया है. परंतु अब तक न तो दोषी का नाम सार्वजनिक हुआ है और न ही मामले में किसी भी व्यक्ति पर कार्रवाई ही हुई है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है