सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त महीने में अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्यों को खनिज अधिकारों और खनिज युक्त भूमि पर पूर्वव्यापी कर लगाने का अधिकार दिया था. अदालत के इस फैसले का असर कोल इंडिया पर पड़ेगा. सरकारी स्वामित्व वाली प्रमुख कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया को अगले कुछ वर्षों में खनिज संपन्न राज्यों को लगभग 38,000 करोड़ रुपये चुकाने होंगे. इसका सर्वाधिक असर कोल इंडिया की सहायक कंपनी सीसीएल और एमसीएल पर पड़ेगा. हालांकि, कंपनी को अपने ईंधन आपूर्ति समझौतों के माध्यम से लगभग 80 प्रतिशत राशि वसूल करने की उम्मीद है. बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में राज्यों को पूर्वव्यापी रूप से प्राप्त रॉयल्टी के अलावा खदानों और निकाले गये खनिजों पर कर लगाने का अधिकार दिया था. फैसले में कहा गया कि खनिजों पर रॉयल्टी कोई कर नहीं, बल्कि एक संविदात्मक प्रतिफल है. राज्यों के पास खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 के तहत रॉयल्टी संग्रह के अलावा खनिज अधिकारों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने की विधायी शक्ति है.
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