Dhanbad News: 790 करोड़ के आउटसोर्सिंग कार्य पर एडुसोल का कब्जा

बीसीसीएल के पीबी एरिया में स्थित केंदुआडीह पैच में कोलकाता की आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स ट्रेलब्लेजर एडुसोल प्राइवेट लिमिटेड खनन कार्य करेंगी. उक्त कंपनी प्राक्कलन राशि से करीब 8% अधिक की बोली लगाकर एल-वन हुई.

By ASHOK KUMAR | June 12, 2025 1:58 AM
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धनबाद.

बीसीसीएल के पीबी एरिया में स्थित केंदुआडीह पैच में कोलकाता की आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स ट्रेलब्लेजर एडुसोल प्राइवेट लिमिटेड खनन कार्य करेंगी. सूचना के मुताबिक इस पैच से कोयला व ओबी निकासी तथा ट्रांसपोर्टिंग के करीब 790 करोड़ रुपये के कार्य के लिए मेसर्स ट्रेलब्लेजर एडुसोल ने करीब 849 करोड़ रुपये की बोली लगाकर यह ठेका प्राप्त किया है. यह राशि बीसीसीएल के प्राक्कलन राशि से करीब 8 प्रतिशत अधिक है. यह ठेका हासिल करने के लिए कुल 14 कंपनियों ने हिस्सा लिया था. इनमें से चार को छोड़ 10 कंपनियों को टेंडर पेपर बिना किसी नोटिस या शॉर्ट-फॉल मांगे ही रद्द (डिसक्वालीफाई) कर दिया गया है. यह क्षेत्र में चर्चा का विषय बना है.

क्या है मामला :

…तो बीसीसीएल को होता 143 करोड़ का मुनाफा

जानकार बताते हैं कि जिन कंपनियों को बीसीसीएल ने डिसक्वालीफाई किया है, उन कंपनियों ने प्राक्कलन राशि से करीब 10 प्रतिशत तक कम की बोली लगायी है. जिसके टेंडर पेपर खुलने से कंपनी को करीब 143 करोड़ रुपये तक का मुनाफा होने की संभावना थी. बावजूद बीसीसीएल ने उन 10 आउटसोर्सिंग कंपनियों का टेंडर पेपर बिना किसी स्पष्ट कारण, नोटिस व शॉर्ट-फॉल मांगे रद्द कर दिया. बीसीसीएल अधिकारियों की इस कार्यप्रणाली से कंपनी को प्रारंभ में ही करीब 60 करोड़ रुपये का नुकसान होता नजर आ रहा है.

मेसर्स खेमका कैरियर हुई है एल-टू

सूचना के मुताबिक केंदुआडीह पैच के लिए जिन चार कंपनियों ने क्वालीफाई किया है. इनमें एल वन रही कंपनी मेसर्स ट्रेलब्लेजर एडुसोल, एल-टू मेसर्स खेमका कैरियर (854 करोड़), एल-थ्री मेसर्स देवप्रभा माइनिंग एंड इंफ्रा (871 करोड़) व एल-4 रही आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स यूनाइटेड कोल कंपनी (873 करोड़) शामिल हैं. इनमें तीन कंपनियां एमएसएमई में रजिस्टर्ड हैं.

टेंडर प्रक्रिया को लेकर आउटसोर्सिंग कंपनियों में नाराजगी

इधर बीसीसीएल की टेंडर प्रक्रिया को लेकर आउटसोर्सिंग कंपनियों में नाराजगी है. कई कंपनियों ने बीसीसीएल पर मनमानी और पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया है. कुछ कंपनियां सीवीसी (सेंट्रल विजिलेंस कमीशन), पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) और न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है. वहीं कुछ कंपनियां सीबीआई जांच की मांग भी कर रही है.

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