IIT ISM धनबाद के नाम एक और उपलब्धि, इस तकनीक को मिला पेटेंट

IIT ISM Dhanbad: आईआईटी आईएसएम धनबाद की तकनीक को पेटेंट मिला है. इसके तहत नया डिमल्सीफायर कच्चे तेल की रिफाइनिंग को अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाएगा. पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षक डॉ तरुण कुमार नैया और शोधकर्ता डॉ योगेश धांधी ने यह उपलब्धि हासिल की है.

By Guru Swarup Mishra | March 16, 2025 8:15 PM
an image

IIT ISM Dhanbad: धनबाद-आईआईटी आईएसएम धनबाद के नाम एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गयी है. संस्थान के पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ताओं ने कच्चे तेल की रिफाइनिंग को अधिक पर्यावरण-अनुकूल बनाने की तकनीक विकसित की है. इस नयी तकनीक को भारतीय पेटेंट प्रदान किया गया है. इसे सात मार्च 2025 को आधिकारिक रूप से पेटेंट किया गया. पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षक डॉ तरुण कुमार नैया और शोधकर्ता डॉ योगेश धांधी ने यह उपलब्धि हासिल की है. संस्थान की ओर से दोनों शोधकर्ताओं को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई दी गयी है.

ग्रीन डिमल्सीफायर का आविष्कार


पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षक डॉ तरुण कुमार नैया और शोधकर्ता डॉ योगेश धांधी ने पेट्रोलियम उद्योग में उपयोग के लिए एक ग्रीन डिमल्सीफायर और उसकी तैयारी की प्रक्रिया शीर्षक से पर्यावरण-अनुकूल डिमल्सीफायर विकसित की है. यह पेटेंट आठ जून 2023 को दायर किया गया था और सात मार्च 2025 को स्वीकृत हुआ.

कम हानिकारक है नया डिमल्सीफायर


कच्चे तेल में पानी के इमल्शन बनने से तेल उत्पादन में बाधा उत्पन्न होती है. इसे दूर करने के लिए आमतौर पर डिमल्सीफायर नामक रसायनों का उपयोग किया जाता है, जो पानी और तेल को अलग करने में मदद करता है. वर्तमान में उपयोग किया जाने वाले डिमल्सीफायर पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं. आज कल तेल और गैस उद्योग में पर्यावरणीय सुरक्षा को लेकर कड़े नियम बनाये जा रहे हैं. ऐसे में पारंपरिक डिमल्सीफायर की जगह अधिक पर्यावरण-अनुकूल रसायनों के उपयोग की जरूरत है, जो समान रूप से प्रभावी हो. इस अध्ययन में पारंपरिक डिमल्सीफायर के कुछ घटकों को पर्यावरण-अनुकूल घटकों से बदलकर एक नया, सुरक्षित और प्रभावी डिमल्सीफायर विकसित किया गया है. नये डिमल्सीफायर के पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन उद्योग द्वारा विकसित रेटिंग सिस्टम के माध्यम से किया गया. इसके बाद इसे विभिन्न प्रकार के जटिल कच्चे तेलों पर परखा गया. परिणामों से यह सिद्ध हुआ कि नया विकसित डिमल्सीफायर पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होने के साथ-साथ तेल उत्पादन प्रक्रिया को भी अधिक प्रभावी रूप से सुधारने में सक्षम है.

पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विभाग का दूसरा पेटेंट


यह पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विभाग के लिए हाल के वर्षों में मिला दूसरा पेटेंट है. इससे पहले प्रो टिंकू साइकिया, प्रो बराशा डेका और प्रो. विकास माहतो की संयुक्त खोज ‘सोया लेसिथिन क्वांटम डॉट्स को एंटी-एग्लोमरेन्ट्स के रूप में उपयोग करने और उनकी तैयारी की विधि’ को 2018 में पेटेंट प्राप्त हुआ था. यह तकनीक एंटी-एग्लोमरेन्ट्स के रूप में काम कर सकती है. इससे हाइड्रेट बनने की समस्या को रोका जा सकता है. इस तकनीक का उपयोग तेल और गैस पाइपलाइनों में किया जाता है.

पढ़ें प्रभात खबर की प्रीमियम स्टोरी: उ कइसन होली जउन आपन लोग, आपन माटी संग ना मनाइल जाये : भरत शर्मा व्यास

संबंधित खबर और खबरें

यहां धनबाद न्यूज़ (Dhanbad News) , धनबाद हिंदी समाचार (Dhanbad News in Hindi), ताज़ा धनबाद समाचार (Latest Dhanbad Samachar), धनबाद पॉलिटिक्स न्यूज़ (Dhanbad Politics News), धनबाद एजुकेशन न्यूज़ (Dhanbad Education News), धनबाद मौसम न्यूज़ (Dhanbad Weather News) और धनबाद क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version