अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर प्रभात खबर कार्यालय में परिचर्चा, आर्थिक आत्मनिर्भरता की वकालत

International Women's Day 2025: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को प्रभात खबर कार्यालय कोलाकुसमा में वर्तमान परिवेश में महिलाओं की चुनौतियां विषय पर परिचर्चा आयोजित की गयी. इसमें हर क्षेत्र की महिलाओं ने अपनी बातें रखीं.

By Guru Swarup Mishra | March 7, 2025 11:02 PM

International Women’s Day 2025: धनबाद-अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर प्रभात खबर कार्यालय कोलाकुसमा में वर्तमान परिवेश में महिलाओं की चुनौतियां विषय पर परिचर्चा आयोजित की गयी. हर सेक्टर में कार्यरत महिलाओं के साथ गृहिणियां भी इसका हिस्सा बनीं. सबने खुलकर अपने विचार रखे. महिलाओं ने एक सुर में कहा कि जब महिला-पुरुष बराबर हैं, तो असमानता की बात कहां से आती है. आज के संदर्भ में उनका आत्मनिर्भर होना बेहद जरूरी है. कार्यक्षेत्र में महिलाओं को हर कदम पर चुनौतियां मिलती हैं. इसका सामना करना पड़ता है. खुद को साबित करना पड़ता है. मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए यह जरूरी है, महिलाएं एक दूजे का साथ दें, सहयोग करें, पर आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को शिक्षित करने के साथ ही उनके हुनर को बाजार व पहचान दिलाने की दिशा में शहरी क्षेत्र की महिलाओं को समय देने की जरूरत है. चिकित्सक हो या अधिवक्ता, शिक्षिका हो या व्यवसायी, होम मेकर हो या समाजसेवी, सभी ने स्त्री शिक्षा को प्राथमिकता दी. अधिकार के प्रति सजगता के लिए उनका शिक्षित होना जरूरी है. महिलाएं घर की होम मिनिस्टर होती हैं.

जो बातें सामने आयीं


कार्य क्षेत्र में हर कदम पर चुनौतियों का सामना करती हैं महिलाएं.
महिलाओं का आत्मनिर्भर होना बेहद जरूरी है.
ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को शिक्षित करने के साथ हुनर को बाजार व पहचान दिलाने की जरूरत.
अधिकारों के प्रति आधी आबादी को करना होगा जागरूक
महिलाएं कमजोर नहीं होतीं, न ही उन्हें स्पेशल ट्रीटमेंट की जरूरत है
महिलाएं एक ही समय में कई मोर्चे को बखूबी संभाल रहीं

परिचर्चा में क्या बोलीं महिलाएं?


महिलाएं अपने को कमजोर मानकर स्वयं भेदभाव पैदा करती हैं. हम ही पुरुष प्रधान समाज बनाते हैं. हम बराबरी की हकदार हैं. ये आत्मविश्वास हमें जगाना होगा. आज के समय में आत्मनिर्भरता जरूरी है. पति पर आश्रित रहनेवाली महिला ही पिछड़ती है. महिलाएं कमजोर नहीं होती न ही उन्हें स्पेशल ट्रीटमेंट की जरूरत है. सेल्फ रेस्पेक्ट जगायें.
जया कुमार, क्रिमिनल लॉयर

आज के समय में महिलाओं का शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होने के साथ ही आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना भी जरूरी है. महिलाएं आत्मनिर्भर होकर ही आत्मसम्मान से जी सकती हैं. इसके लिए उनका शिक्षित होना जरूरी है. इतने बदलाव के बाद भी आज बेटा-बेटी को लेकर भेदभाव है. दोनों को संस्कारित करें
डॉ रूपा प्रसाद, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ

बदलते हालात में महिलाएं दोहरी जिम्मेवारी के साथ आगे बढ़ रहीं हैं. घर और बाहर के बीच बैलेंस बनाकर चलने में परेशानी हो रही है. उनके लिए जीवन का हर पल चुनौती भरा है. सबका ध्यान रखते खुद का ध्यान नहीं रख पा रही हैं. अपना ख्याल खुद रखना होगा. वह स्वस्थ रहेंगी, तभी परिवार खुशहाल होगा.
संगीता श्रीवास्तव, शिक्षिका क्रेडो वर्ल्ड स्कूल

महिलाएं और चुनौतियां दोनों साथ साथ चलते हैं. अब तो चुनौतियों की आदत पड़ गयी है. कभी-कभी बदलाव सुखद होता है. परिवर्तन से घबड़ायें नहीं. कुछ नहीं मिलेगा, तो अनुभव, तो होगा. आधी-आबादी चुनौतियों को न सिर्फ साथ लेकर चलती है, बल्कि उनसे लड़ना भी जानती हैं. हार नहीं मानती है.
रेणु लाल, व्यवसायी

महिलाएं घरवालों के सपोर्ट से ही आगे बढ़ती हैं. आधी आबादी की पहली प्राथमिकता घर परिवार है, लेकिन उनकी समाज में अपनी पहचान हो इसके लिए भी प्रयासरत है. आज की आधी आबादी दोहरी चुनौतियों के साथ आगे बढ़ रही है. हर क्षेत्र में उनकी धमक है बदलते समाज का यह सुखद एहसास है.
राखी जैन, होम मेकर

आज की महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता जरूरी है. आत्मनिर्भर होकर महिला न सिर्फ खुद की पहचान बनाती है, बल्कि परिवार समाज को भी उन्नति के पथ पर ले जाती है. हमें समस्या की जगह समाधान पर फोकस करने की जरूरत है. समय प्रतिकूल हो या अनुकूल, जीवटता के साथ कदम आगे बढ़ाने की जरूरत है.
सुषमा प्रसाद, व्यवसायी

आज की आधी-आबादी मल्टी टैलेंटेड है. एक ही समय में कई मोर्चे को बखूबी संभाल रही है. समाज की चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार है. आज का समय तेजी से भाग रहा है. समय के साथ सामंजस्य बिठाना मुश्किल हो रहा है. बावजूद इसके महिलाएं अपना दायित्व बखूबी निभा रही हैं. उन्हें एक दूसरे का हाथ थाम कर हर हाल में आगे बढ़ना होगा.
रमा सिन्हा, आरोग्य भारती, प्रांत प्रमुख

मौजूदा परिवेश की महिलाएं अपने हुनर को पहचान दिला रहीं. हर सेक्टर में वे काम कर रही हैं. हमें रिजर्वेशन नहीं चाहिए. अपनी काबिलियत के बल पर समाज में पहचान बनाना है, दूसरों को भी राह दिखानी है. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं सुंदर हस्तनिर्मित वस्तुएं तैयार करती है. इनके हुनर के लिए कोई बाजार नहीं है.
पिंकी गुप्ता, सोशल वर्कर

हम महिलाओं को हर कदम पर खुद को प्रूफ करना होता है. लड़कियां पढ़ रहीं है. डिग्रियां ले रही है. ये अच्छी बात है, पर उन डिग्रियों से कैसे लाभ लें, उन्हें यह समझाने की जरूरत है. मेरा मानना है चुनौतियां जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं. महिलाएं व्यस्त रहें. सकारात्मक सोच रखें और आगे बढ़ें.
सुभद्रा झा, होम मेकर

महिलाओं को आत्मनिर्भरता की दिशा में रुचि जगानी होगी. ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता के अभाव में अभिभावक बेटियों की शिक्षा के प्रति उदासीन रहते हैं. सामूहिक प्रयास से उन तक शिक्षा की मशाल जलेगी, हम महिलाएं विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानती हैं. समय के साथ अनुभव मिलता जाता है, कामयाब होती जाती हैं.
रीता चौधरी, सोशल वर्कर

महिलाएं नकारात्मक विचार न पालें. न ही चुनौतियों से घबड़ायें. स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें. आपके पास, जो हुनर है उसे निखारें. लाइफ स्टाइल में बदलाव लायें. सकारात्मक सोच के लिए मेडिटेशन करें. साथ ही सबसे पहले खुद का सम्मान करना सीखें. 21वीं सदी की नारी स्वतंत्र है, आत्मनिर्भर हैं. उसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता.
सुष्मिता प्रसाद, डेंटिस्ट

मौजूदा परिवेश में हर क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति है. वे बदलते समय को देख रही हैं. समझ रहीं हैं. पर ग्रामीण महिलाओं में न तो जागरूकता है और न ही अपने अधिकार की जानकारी, उन तक सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचानी होगी. महिलाएं एक दूसरे का साथ लेकर आगे बढ़ें. चुनौती से घबड़ायें नहीं.
प्रीति चौधरी, व्यवसायी

महिला सशक्तीकरण के दौर में स्वाभिमानी व आत्मविश्वासी बनें. अपना अस्तित्व स्वयं तलाशना, तराशना होगा. अब पहले जैसी सोच नहीं रही. बदलते समय के साथ महिलाएं आर्थिक स्वतंत्रता के क्षेत्र में कदम बढ़ा रही हैं. नारी के लिए मेरा कहना है तू शक्ति, तू भक्ति, तू संगिनी, तू सहचर, फिर क्यूं पूछती है किससे बेहतर है तू.
अंशुल नरूला, कवयित्री

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