झरिया कोयलांचल में 1.53 वर्ग किलोमीटर में सिमटा आग का दायरा

Jharia Underground Fire Shrinking: जमीन के अंदर कोयले में लगी आग के कारण झरिया शहर पिछले 100 वर्षों से अधिक समय से जल रहा है. राष्ट्रीयकरण के वक्त झरिया कोयलांचल के करीब 17.32 स्क्वायर किलोमीटर में आग का दायरा फैला हुआ था. परंतु वर्तमान में यह करीब 1.53 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में सिमट चुका है. इसका खुलासा नेशनल रिमोट सेंटर (एनआरएससी) की ताजा रिपोर्ट में हुआ है.

By Mithilesh Jha | May 10, 2025 4:40 PM
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Jharia Underground Fire Shrinking| धनबाद, मनोहर कुमार : बीसीसीएल में कोयला उत्पादन के साथ झरिया कोयलांचल में लगी आग के दायरे में कमी आयी है. नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में झरिया शहर के करीब 1.53 वर्ग किलोमीटर के दायरे में आग का दायरा सिमट चुका है. राष्ट्रीयकरण के वक्त वर्ष 1972 में झरिया कोयलांचल के करीब 17.32 स्क्वायर किलोमीटर में आग लगी थी. एनआरएससी की रिपोर्ट झरिया वासियों के लिए राहत भरी है.

100 से अधिक साल से जल रहा है झरिया शहर

जमीन के अंदर कोयले में लगी आग के कारण झरिया शहर पिछले 100 वर्षों से अधिक समय से जल रहा है. राष्ट्रीयकरण के वक्त झरिया कोयलांचल के करीब 17.32 स्क्वायर किलोमीटर में आग का दायरा फैला हुआ था. परंतु वर्तमान में यह करीब 1.53 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में सिमट चुका है. इसका खुलासा नेशनल रिमोट सेंटर (एनआरएससी) की ताजा रिपोर्ट में हुआ है. यह जानकारी पिछले दिनों बीसीसीएल दौरे पर आये कोयला व खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे को कंपनी प्रबंधन की ओर से दी गयी है.

  • नेशनल रिमोट सेंटर की एक रिपोर्ट से हुआ मामले का खुलासा
  • राष्ट्रीयकरण के वक्त 17.32 वर्ग किलोमीटर में फैली थी आग
  • आग के दायरे में 15.79 स्क्वायर किलोमीटर की आयी कमी
  • वर्तमान में 77 से घट कर 18 अग्नि प्रभावित क्षेत्र शेष

कोयले में लगी आग का दायरा 15.53 किलोमीटर घटा

एनआरएससी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बीसीसीएल प्रबंधन ने बताया कि कोयले में लगी आग के दायरे में करीब 15.53 वर्ग किमी की कमी आयी है. इतना ही नहीं अग्नि प्रभावित वाले स्थानों की संख्या में भी कमी आयी है. एनआरएससी रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीयकरण के वक्त अग्नि प्रभावित स्थानों की संख्या 77 थी, जो वर्तमान में घट कर 18 हो गया है. यानी 59 अग्नि प्रभावित वाले स्थानों में लगी आग पर काबू पाया जा सका है.

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2009 में बना था झरिया मास्टर प्लान

बता दें कि भारत सरकार ने 12 अगस्त 2009 को 7112.11 करोड़ रुपये के बजट के साथ झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी दी थी, ताकि अग्नि प्रभावित परिवारों के पुनर्वास सहित आग व भू-धंसान से जुड़ी समस्या का निष्पादन किया जा सके. आग से निबटने की पूरी जिम्मेदारी बीसीसीएल की है, जबकि कोलकर्मियों को पुनर्वासित करने की जिम्मेदारी बीसीसीएल व गैर बीसीसीएल कर्मियों के पुनर्वासित करने की जिम्मेदारी झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकरण (जेआरडीए) की है.

फिलहाल 18 एरिया हैं अग्नि प्रभावित

राष्ट्रीयकरण के वक्त पूरे झरिया कोयलांचल में सर्फेस व अंडरग्राउंड दोनों को मिला कर कुल 77 अग्नि प्रभावित क्षेत्र थे. एनआरएससी की रिपोर्ट में वर्तमाम में अग्नि प्रभावित एरिया का दायरा घट कर 18 हो गया है. हालांकि एनआरएसी की रिपोर्ट में सिर्फ सर्फेस माइनिंग क्षेत्र का ही जिक्र है. बता दें कि झरिया की भूमिगत आग 100 साल से अधिक पुरानी है. आग को बुझाने के लिए कई प्रयास किये गये. इस पर करीब 2500-3000 करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके हैं, लेकिन आग पर अबतक पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है. आग के कारण अबतक अरबों रुपये का कोयला जलकर राख हो चुका है.

एनआरएससी सर्वेक्षण के अनुसार आग की सीमा

वर्ष197220212024
आग लगा क्षेत्र (वर्ग किमी)17.3201.8001.53
अग्नि प्रभावित स्थान772718

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