किसी भी उच्चतर शिक्षण संस्थान की शैक्षणिक यात्रा में दीक्षांत समारोहों का विशेष महत्व रहता है. यह महत्व आइआइटी आइएसएम में देखने को मिलता है. संस्थान का यह सबसे प्रमुख कार्यक्रम है. हालांकि संस्थान की स्थापना वर्ष 1926 में हुई थी, लेकिन इसका पहला दीक्षांत समारोह वर्ष 1968 में आयोजित किया गया था. प्रारंभिक वर्षों में हर वर्ष दीक्षांत समारोह आयोजित नहीं होता था, लेकिन समय के साथ यह परंपरा नियमित हो गयी. वर्ष 2025 यह संस्थान अपना 45वां दीक्षांत समारोह आयोजित करने जा रहा है. इसमें देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि होंगी. इससे पहले भी दीक्षांत समारोहों में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, देश के नामचीन वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, राजनेताओं और प्रशासकों ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की है, संस्थान का पहला दीक्षांत समारोह 17 मार्च 1968 को आयोजित हुआ था. इसके मुख्य अतिथि जीके चांदीरामानी थे. वह 1961 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में सचिव थे. इसके बाद 1971 में नित्यानंद कानूनगो, 1975 में प्रो. नुरूल हसन और 1978 में तत्कालीन राष्ट्रपति एन संजीव रेड्डी ने दीक्षांत समारोह की शोभा बढ़ायी थी. 1980 और 1990 के दशकों में डॉ राजा रमन्ना, डॉ जेजे ईरानी, डॉ आरए मशेलकर, डॉ पी रामाराव जैसे वैज्ञानिकों और उद्योगजगत से जुड़े विशेषज्ञों ने दीक्षांत समारोह में शिरकत की. वर्ष 1998 में डॉ एपीजे. अब्दुल कलाम ने दीक्षांत समारोह को संबोधित कर छात्रों में नयी ऊर्जा का संचार किया. वर्ष 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और वर्ष 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने समारोह में भाग लेकर संस्थान की गरिमा को बढ़ायी. 2016 में तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी और 2023 में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि थे. समय के साथ यह समारोह न केवल छात्रों के लिए एक उपलब्धि का प्रतीक बना, बल्कि देश के नीति-निर्धारकों और शिक्षाविदों के विचार साझा करने का एक महत्वपूर्ण मंच भी बन गया. इन आयोजनों के माध्यम से संस्थान की सशक्त अकादमिक और सामाजिक भूमिका उजागर होती रही है.
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