Dhanbad News : व्हाट्सऐप पर तलाक का नोटिस कानूनी रूप से वैध नहीं, कोर्ट से भेजवाना ही उचित

प्रभात खबर के ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में सबसे अधिक पूछे गये दुर्घटना बीमा से संबंधित सवाल

By NARENDRA KUMAR SINGH | May 12, 2025 2:22 AM
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भूमि, संपत्ति, दुर्घटनाओं के लिए बीमा कंपनियों से क्लेम और पारिवारिक विवादों को कानूनी रास्ता अपनाने से पहले आपसी सहमति से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए. कई बार ऐसे मामले केवल बातचीत और समझौते से हल हो सकते हैं. अदालतों के चक्कर में पड़ने से समय और धन दोनों की हानि होती है. यह सुझाव रविवार को प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसलिंग के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता बिप्लव दास ने दिया. उन्होंने कहा कि पहले आपसी संवाद और मध्यस्थता के माध्यम से समस्याओं का समाधान तलाशने का प्रयास करना चाहिए. इससे न केवल मानसिक शांति बनी रहती है, बल्कि आर्थिक नुकसान से भी बचाव होता है.

तोपचांची से सागर सिंह का सवाल:

अधिवक्ता का जवाब:

आमतौर पर ट्रांसपोर्टर अपनी मालवाहक गाड़ियों का इंश्योरेंस करते समय केवल ड्राइवर और खलासी का ही प्रीमियम देते हैं, जबकि को-ड्राइवर को नजरअंदाज कर देते हैं. ऐसे में अगर हादसा होता है तो बीमा कंपनी सहचालक को क्लेम देने के लिए बाध्य नहीं होती. इसके लिए वाहन मालिक उत्तरदायी होता है. ट्रांसपोर्टरों के लिए यह आवश्यक है कि वह बीमा कराते समय चालक, सहचालक और खलासी तीनों का प्रीमियम जरूर दें.

चिरकुंडा से विजय कुमार का सवाल:

अधिवक्ता का जवाब:

इस प्रकार के हादसे में थर्ड पार्टी क्लेम के लिए बीमा की कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी होना आवश्यक है. अगर बीमा पॉलिसी केवल थर्ड पार्टी है और कॉम्प्रिहेंसिव नहीं है, तो बीमा कंपनी क्लेम नहीं देती है.

बरवाअड्डा से हरिश चौधरी का सवाल:

अधिवक्ता का जवाब:

यह क्लेम पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस (जो वाहन मालिक-चालक को कवर करता है) के तहत मिल सकता है, क्योंकि आपका पुत्र आप पर आश्रित है. इसके साथ ही यदि आपके पास अगर थर्ड पार्टी कॉम्प्रिहेंसिव बीमा है, तो भी आप क्लेम कर सकते हैं. लेकिन यदि आपके पास केवल थर्ड पार्टी बीमा पॉलिसी है, तो आपको यह क्लेम नहीं मिलेगा.

धनबाद से निरंजन महतो का सवाल:

अधिवक्ता का जवाब:

मालवाहक वाहन का क्लेम लेने के लिए ड्राइवर का ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन का परमिट, फिटनेस सर्टिफिकेट और प्रदूषण प्रमाणपत्र आवश्यक होते हैं. इनमें से किसी एक की भी कमी होने पर क्लेम का आवेदन अस्वीकार किया जा सकता है.

धनबाद से नीरज कुमार का सवाल:

अधिवक्ता का जवाब:

सरकारी वाहन से दुर्घटना होने पर मुआवज़ा पाने की प्रक्रिया और मुआवज़े की राशि कानून के तहत स्पष्ट रूप से निर्धारित है. मृत्यु होने पर आठ लाख का मुआवज़ा मिलता है. इसके लिए सबसे पहले यह बताना होगा कि जिस सरकारी वाहन से हादसा हुआ है, वह केंद्र सरकार के विभाग से संबंधित है या राज्य सरकार के विभाग से. इसके बाद थाने में दुर्घटना की एफआईआर दर्ज करानी होगी, जिसमें वाहन की जानकारी (नंबर, विभाग आदि) स्पष्ट होनी चाहिए. इसके बाद संबंधित सरकारी विभाग (जिससे वाहन संबंधित है) को थाने में की गई शिकायत की प्रति के साथ लिखित रूप से सूचना दें और मुआवज़ा देने की मांग करें. मुआवज़ा पाने के लिए आपको दावा याचिका दायर करनी होगी. यह याचिका पीड़ित स्वयं, परिवार के सदस्य या वकील के माध्यम से दायर कर सकते हैं.

धनबाद से संजय कुमार का सवाल:

अधिवक्ता का जवाब:

अगर आपके पिता ने वसीयत नहीं की है, तो उनके निधन के बाद आपको उनकी संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है. लेकिन आप उनके जीवनकाल में उनकी संपत्ति में हिस्सा नहीं मांग सकते. अगर पुश्तैनी संपत्ति में हिस्सा चाहिए तो वह आप अपने दूसरे पिता के जीवनकाल में ले सकते हैं, क्योंकि आपके जैविक पिता और वर्तमान पिता सगे भाई हैं.

गोविंदपुर से मंतोष बनर्जी का सवाल:

अधिवक्ता का जवाब:

आप उससे चेक ले लीजिए. इसके बाद उसके चेक को बैंंक में जमा करवा दीजिए. यदि वह डिसऑनर हो जाए, तो उसे अपने वकील के माध्यम से डिमांड नोटिस भेजिए. अगर वह इसके बाद भी पैसा नहीं लौटाता है तो 15वें दिन कोर्ट में उसके खिलाफ केस कर दीजिए. केस करते समय डिसऑनर किए गए चेक और इसके लिए बैंक से मिले कागजात को याचिका के साथ संलग्न कर दें.

बाघमारा से साधुशरण केसरी का सवाल:

अधिवक्ता का जवाब:

व्हाट्सऐप पर तलाक नोटिस भेजना ना तो कानूनी तलाक है और ना ही मान्य. तलाक एक न्यायिक प्रक्रिया है, जिसके लिए आपको परिवार न्यायालय में याचिका दायर करनी होती है. यदि पत्नी तलाक के लिए तैयार नहीं है, तो आपको एकतरफा तलाक की याचिका दायर करनी होगी. कोर्ट ही आपकी पत्नी को न्यायिक पृथक्करण (जुडिशियल सेपरेशन) का नोटिस भेजेगा. इसके लिए आप किसी वकील से संपर्क करें जो पारिवारिक मामलों के विशेषज्ञ हों.

इन्होंने भी पूछा सवाल :

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