EWS से सिर्फ सीटों में मिलता है आरक्षण, इनमें छूट है नीति का विषय, प्रभात खबर लीगल काउंसेलिंग में अधिवक्ता ने दी सलाह

Prabhat Khabar Legal Counseling: प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में धनबाद, बोकारो और गिरिडीह से 25 से अधिक लोगों ने कानूनी सलाह ली. अधिवक्ता ने सलाह दी कि पहले आपसी संवाद और मध्यस्थता के माध्यम से समस्याओं का समाधान तलाशने का प्रयास करना चाहिए. अदालतों के चक्कर में पड़ने से समय और धन दोनों की हानि होती है. उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस से सिर्फ सीटों में आरक्षण मिलता है. अंक या आयु में छूट नीति का विषय है.

By Guru Swarup Mishra | June 8, 2025 9:03 PM
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Prabhat Khabar Legal Counseling: धनबाद-भूमि, संपत्ति, दुर्घटनाओं के लिए बीमा कंपनियों से क्लेम और पारिवारिक विवादों को कानूनी रास्ता अपनाने से पहले आपसी सहमति से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए. कई बार ऐसे मामले केवल बातचीत और समझौते से हल हो सकते हैं. अदालतों के चक्कर में पड़ने से समय और धन दोनों की हानि होती है. यह सुझाव रविवार को प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग के दौरान दी गयी. इस दौरान बताया गया कि पहले आपसी संवाद और मध्यस्थता के माध्यम से समस्याओं का समाधान तलाशने का प्रयास करना चाहिए. इससे न केवल मानसिक शांति बनी रहती है, बल्कि आर्थिक नुकसान से भी बचाव होता है. प्रभात खबर लीगल काउंसेलिंग के दौरान धनबाद, बोकारो व गिरिडीह से 25 से अधिक लोगों ने कानूनी सलाह ली.

देवघर से तरुण तिवारी ने पूछा ये सवाल


देवघर से तरुण तिवारी का सवाल : झारखंड टेट की होने वाली परीक्षा में इडब्ल्यूएस कोटे के अभ्यर्थी को अंक में छूट नहीं मिलेगा. क्या यह तकनीकी रूप से संभव है, अगर मैं इसे चुनौती देना चाहूं, तो मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : इडब्ल्यूएस को आरक्षण का प्रावधान संविधान संशोधन द्वारा किया गया है, जो शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण की अनुमति देता है. केंद्र या राज्य द्वारा इडब्ल्यूएस को केवल सीट आरक्षण देना, लेकिन अंक या आयु में छूट न देना यह नीति का विषय है. कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे यूपीएससी में इडब्ल्यूएस को सिर्फ आरक्षण मिलता है, अंक में छूट नहीं. हालांकि इसके बाद भी यह न्यायिक समीक्षा का विषय है, इसे आप उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं.
बगोदर से अजय कुमार साव का सवाल : मेरा और मेरे पड़ोसी का घर सटा हुआ है. पड़ोसी का घर मेरे घर से ऊंचा है. उसने मेरे घर की तरफ अपनी छत की रेलिंग पर फूलों का गमला रखा है. हमें डर लगा रहता है कि यह गमले मेरे छत पर न गिर जायें. बार बार आग्रह करने पर भी वह गमला नहीं हटा रहे हैं. मुझे इसके लिए क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : यह नुकसान की आशंका और सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़ा मामला है. चूंकि यह आपके पड़ोसी से संबंधित मामला है, तो आपको सबसे पहले सौहार्दपूर्ण समाधान की पहल करनी चाहिए. फिर भी बात नहीं बने, तो इसकी शिकायत अपने क्षेत्र के एसडीएम से करनी चाहिए.

बोकारो से नौवीं की छात्रा का ये था सवाल


बोकारो से नौवीं की छात्रा का सवाल : अगर कोई लड़का अपनी सहपाठी लड़की को गलत तरीके से छूता है या उसे छेड़ता है और समझाने के बाद भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है, तो ऐसे में क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : ऐसे मामलों में लड़की को पहले, तो नहीं घबराना चाहिए. उसे अपनी मां या अपने करीबी महिला शिक्षक को इसकी जानकारी देनी चाहिए. साथ ही अगर स्कूल में इस मामले को लेकर कोई सेल है, तो वहां या स्कूल के प्रिंसिपल से शिकायत करनी चाहिए. अगर मामला बेहद गंभीर है, तो पोक्सो के तहत एफआइआर दर्ज करवानी चाहिए.
धनबाद, फूलवार से कुंदन का सवाल : इसी वर्ष जनवरी में मेरे पुत्र की शादी हुई है. लेकिन शादी के बाद से लड़की मेरे पुत्र को अपने पास आने नहीं दे रही है. वह इसके साथ नहीं रहना चाहती है. वह शादी के दो दिनों के बाद अपने घर चली गयी थी. बीच में अपनी मां के साथ आयी थी और सामान लेकर चली गयी. अब हमें क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : सबसे पहले आपलोग लड़की के माता-पिता से बातचीत करके कारण जानने की कोशिश करें. कई बार सामाजिक या पारिवारिक गलतफहमी समाधान योग्य होती है. इसके लिए आप लोग धनबाद के वन स्टॉप सेंटर से संपर्क कर सकते हैं. इस सेंटर पर लड़की और उनके परिजनों को बुलाया जायेगा.
बोकारो से रामदास कुमार सवाल : मेरे पिता 2010 में सीसीएल से रिटायर हुए थे. उनका अब निधन भी चुका है. लेकिन अभी तक उनका पूरा पावना नहीं मिला है. इसके लिए कई बार पत्राचार किया है. अब हमें क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : यदि बार-बार पत्राचार के बावजूद पावना नहीं मिल रहा है, तो आप आरटीआइ एक्ट 2005 के तहत सीसीएल के संबंधित विभाग से जानकारी मांगें कि आपके पिता की सेवानिवृत्ति लाभों का भुगतान क्यों लंबित है, और कब तक भुगतान किया जाएगा? इसके साथ ही आप केंद्रीय श्रमायुक्त के पास शिकायतवाद दायर कर सकते हैं. इसके साथ ही आप प्रधानमंत्री जन शिकायत प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस ) में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.

तेनुघाट से श्रीराम यादव ने किया ये सवाल


तेनुघाट से श्रीराम यादव का सवाल : मैं एक संबद्ध कॉलेज के साथ ही एक एनजीओ में काम करता था. जब मैं दोनों जगह सेवानिवृत्त हुआ था, तो मुझे एनजीओ से ग्रेच्युटी का भुगतान मिला था. लेकिन अब कॉलेज मुझे ग्रेच्युटी नहीं दे रहा है. कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि मैंने एक जगह से ग्रेच्युटी का लाभ ले लिया है. मुझे कॉलेज से ग्रेच्युटी लेने के लिए क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : कॉलेज का यह कहना कि एक संस्था से ग्रेच्युटी ले चुके हैं, इसलिए दूसरी से नहीं मिलेगी, यह कानूनन सही नहीं है. आप कॉलेज के विरुद्ध सहायक श्रम आयुक्त से शिकायत कर सकते हैं. वह कॉलेज को नोटिस जारी कर सकते हैं और समाधान करवा सकते हैं.
बोकारो से सतीश कुमार का सवाल : मेरी जमीन पर दावा करते हुए एक व्यक्ति ने केस कर दिया है. लेकिन वह केस करने के बाद सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहा है. नोटिस भेजने पर भी वह नहीं आ रहा है, मुझे क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : वादी (केस करने वाला व्यक्ति) बार-बार गैरहाजिर हो रहा है, तो उसे तीन नोटिस मिलने दीजिए. इन सभी नोटिस की प्राप्ति रसीद के साथ आप अदालत में प्रार्थना करें कि वादी लगातार अनुपस्थित है और कोई ठोस कारण नहीं बता रहा. अतः वाद को ‘डिफॉल्ट में खारिज’ किया जाये. इसके बाद कोर्ट आपके पक्ष में एकतरफा फैसला ले सकता है.

गिरिडीह से रामेश्वर प्रसाद ने किया ये सवाल


गिरिडीह से रामेश्वर प्रसाद का सवाल : मेरी जमीन पर एक व्यक्ति ने अवैध कब्जा कर लिया है. कोर्ट का फैसला भी मेरे पक्ष में है. लेकिन इसके बाद वह जमीन नहीं छोड़ रहा है. मैंने इसके लिए थाना में शिकायत की है, लेकिन इसके बाद मेरे जमीन से कब्जा नहीं छोड़ रहा है. मुझे क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : यदि कोर्ट ने जमीन आपके पक्ष में देने का आदेश दे दिया है, लेकिन विरोधी पालन नहीं कर रहा, तो आपको उसी अदालत में एक्सीक्यूशन पिटिशन दाखिल करनी चाहिए. अदालत फिर जिला प्रशासन या पुलिस को जबरन कब्जा खाली कराने का आदेश दे सकती है.
गिरिडीह से रोहित यादव का सवाल : मेरे पास 18 एकड़ जमीन है. पहले यह जमीन गैर आबाद थी. लेकिन अब सरकार ने मेरे नाम पर बंदोबस्त कर दिया है. अब कुछ लोग इस जमीन पर दावा कर रहे हैं. मुझे क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : आप निश्चिंत रहें, क्योंकि आपके नाम पर बंदोबस्ती हो चुकी है. सरकार ने जो बंदोबस्त किया है, उसका ऑर्डर कॉपी, खतियान, हाल तक का रसीद आदि का प्रमाण जरूर रखें. जमीन का दाखिल खारिज आपके नाम से हो चुका है, यह सुनिश्चित कर लें.

धनबाद के हीरापुर से रंजय सिंह ने किया ये सवाल


धनबाद के हीरापुर से रंजय सिंह का सवाल : मेरे पिता जी ने अपनी संपत्ति मेरे बड़े भाई के पुत्र के नाम पर वसीयत के माध्यम से कर दिया है. पिताजी का अब निधन हो चुका है. मेरी मां अभी जीवित हैं. क्या अब पिताजी की संपत्ति में मुझे मेरा हिस्सा मिलेगा.
अधिवक्ता की सलाह : आपके पिता को कानूनी अधिकार था कि वह अपनी मर्जी से किसी को भी अपनी संपत्ति वसीयत द्वारा दे सकते हैं. इस स्थिति में यदि उन्होंने वसीयत बनाकर अपने पोते (बड़े भाई के पुत्र) के नाम पूरी संपत्ति कर दी और वसीयत कानूनी रूप से वैध है (गवाहों के साथ और बिना दबाव के लिखी गई है), तो आपको कानूनी रूप से उस संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा.
डिगवाडीह से अभिजीत सेनगुप्ता का सवाल : डिगवाडीह में मेरी पुस्तैनी जमीन है. मेरे भाइयों ने जमीन का कुछ हिस्सा मेरी सहमति के बिना बेच दिया है. मैंने जब कोर्ट में इस जमीन के जेरोक्स पेपर के साथ केस किया, तो कोर्ट ने केस खारिज कर दिया है. मुझे क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : आपने सिर्फ जेरॉक्स कॉपी के आधार पर केस किया, जो कानून की नजर में मूल दस्तावेज की जगह नहीं ले सकता. आपको पहले रिकार्ड रूम से जमीन के कागजात का सर्टिफाइड कॉपी निकालनी चाहिए. इसके आधार पर आप इस मामले में आगे चुनौती दे सकते हैं.

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