Legal Counseling: बाइक का बीमा है तो सड़क हादसे में मौत पर पिलियन राइडर को भी मिलेगा मुआवजा?

Prabhat Khabar Online Legal Counseling: धनबाद में रविवार को प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग का आयोजन किया गया. इस दौरान अधिवक्ता काजी सिराज अहमद ने लोगों को सुझाव दिए. लोगों ने पूछा कि बाइक का बीमा है तो सड़क हादसे में मौत पर पिलियन राइडर को भी मुआवजा मिलेगा? लीगल काउंसलिंग के दौरान धनबाद, बोकारो, गिरिडीह और कोडरमा, जामताड़ा से कई लोगों ने कानूनी सलाह ली.

By Guru Swarup Mishra | July 13, 2025 9:36 PM
an image

Prabhat Khabar Online Legal Counseling: धनबाद-भूमि, संपत्ति, दुर्घटनाओं के लिए बीमा कंपनियों से क्लेम और पारिवारिक विवादों में कानूनी रास्ता अपनाने से पहले आपसी सहमति से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए. कई बार ऐसे मामले केवल बातचीत और समझौते से हल हो सकते हैं. अदालतों के चक्कर में पड़ने से समय और धन दोनों की हानि होती है. यह सुझाव रविवार को प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग के दौरान अधिवक्ता काजी सिराज अहमद ने दिए. लीगल काउंसलिंग के दौरान धनबाद, बोकारो, गिरिडीह और कोडरमा, जामताड़ा से कई लोगों ने कानूनी सलाह ली.

सड़क हादसे में मौत पर मिलेगा मुआवजा?


बोकारो से संजय प्रसाद का सवाल : पिछले दिनों सड़क हादसे में मेरे भाई का निधन हो गया था. वह अपने दोस्त के साथ उसकी बाइक पर कहीं जा रहा था. दोनों ने हलमेट भी पहन रखी थी. बाइक का बीमा भी था. क्या मेरे भाई को उस बीमा का लाभ मिलेगा?
अधिवक्ता की सलाह : अगर बाइक कॉम्प्रिहेंसिव बीमा से कवर थी और उसमें पीछे बैठे पैसेंजर (पिलीयन राइडर) कवर शामिल था, तो आपके भाई के परिजनों को अवश्य ही बीमा का लाभ मिलेगा. यह मुआवजा आम तौर पर बीमाधारक (बाइक मालिक) द्वारा अतिरिक्त प्रीमियम देकर लिया जाता है. अगर कहीं बाइक का सिर्फ थर्ड पार्टी बीमा था, तब भी बाइक पर पीछे बैठने वाले को थर्ड पार्टी माना जाता है और उनकी मृत्यु की स्थिति में बीमा कंपनी को मृत्यु मुआवजा देना होता है.
बाघमारा से रोहित महतो का सवाल : मेरा बेटा अपने ऑफिस के बाइक से कहीं जा रहा था. आगे जा कर बाइक एक्सीडेंट कर गया. इसमें मेरे बेटे को गंभीर चोटें आयी. बताया जा रहा है बाइक का बीमा है. क्या इस बीमा का लाभ मेरे बेटे के इलाज में मिलेगा ?
अधिवक्ता की सलाह : अपने देश में मोटर वाहन बीमा नियमों के अनुसार, हर बीमा पॉलिसी में 15 लाख रुपये तक का ड्राइवर पर्सनल एक्सीडेंट कवर अनिवार्य रूप से शामिल होता है. ऐसे में उसे गंभीर चोटों या स्थायी विकलांगता पर मुआवजा मिल सकता है.
बरवाअड्डा से जयनाथ का सवाल : पिछले वर्ष बोकारो के एक व्यक्ति को मैंने अपने बेटे की नौकरी लगाने के लिए ऑनलाइन 85 हजार रुपये दिये थे. जब लंबे समय तक मेरे बेटे को नौकरी नहीं मिली, तो मैंने पैसा वापस लेने के लिए दबाव बनाया. तब उसने 60 हजार रुपये लौटा दिये थे. अब शेष राशि नहीं लौटा रहा है. हमें क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : किसी वकील से संपर्क कर उस व्यक्ति के नाम कानूनी नोटिस भेजें, इसमें 25,000 रुपये की बकाया राशि लौटाने की चेतावनी दी जाये. इसके बाद भी वह व्यक्ति पैसा नहीं लौटाता है, तो 15 दिन के भीतर उसके खिलाफ कोर्ट में सीपी केस करें. साथ ही आप मनी सूट भी दायर कर सकते हैं. इन सबके लिए आपको वकील की मदद लेनी चाहिए.

चेक बाउंस में कहीं गिरफ्तार न हो जाएं?


बोकारो थर्मल से आशीष नाग का सवाल : निचली अदालत में मेरे खिलाफ 1.05 लाख रुपये के चेक बाउंस मामले में निर्णय आया था और कोर्ट ने मुझे 30 दिन के भीतर राशि लौटाने का आदेश दिया था. आर्थिक तंगी के कारण मैं समय पर राशि नहीं लौटा सका. अब मैं वह पैसा लौटाना चाहता हूँ, लेकिन डर है कि कहीं मुझे गिरफ्तार न कर लिया जाये. ऐसी स्थिति में मैं गिरफ्तारी से कैसे बच सकता हूँ?
अधिवक्ता की सलाह : कोर्ट ने पहले ही आपको 30 दिनों में भुगतान करने का निर्देश दिया था और आप समय पर भुगतान नहीं कर सके, इसलिए अब आपके खिलाफ अदालती आदेश की अवहेलना के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी होने की संभावना हो सकती है, लेकिन अभी भी आपके पास कानूनी विकल्प उपलब्ध हैं, जिससे आप गिरफ्तारी से बच सकते हैं. आपको दूसरे पक्ष से संपर्क करना चाहिए और न्यायालय के समक्ष उसे पैसा लौटा देना चाहिए. वहां कोर्ट में देरी की वजह बताएं.
हीरापुर धनबाद से संजीव शर्मा का सवाल : धनबाद की एक अदालत ने एक ही आपराधिक मामले में मेरे पक्ष में दो अलग-अलग और विपरीत प्रकृति के फैसले सुना दिए हैं. जब मैंने इस विषय को लेकर सेशन जज की अदालत में अपील की, तो उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में निर्णय केवल हाई कोर्ट ही ले सकता है. इसके बाद मैंने झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी, लेकिन काफी समय बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है. चूंकि इस मामले में मेरी कोई गलती नहीं है, तो अब मुझे आगे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : यह सही है कि ऐसे मामलों में हाई कोर्ट ही निर्णय लेता है. आपने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेज कर सही कदम उठाया है. कई बार मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय में काम की अधिकता होती है. इसलिए आपको हाई कोर्ट में धनबाद के इंस्पेक्टिंग जस्टिस को मामले की जानकारी देनी चाहिए. यहां आपके मामले की सुनवाई में आपका एक पैसा खर्च नहीं होगा.
स्टील गेट धनबाद के महेन्द्र यादव का सवाल : मैंने एक व्यक्ति को काफी समय पहले चेक के माध्यम से 60 हजार रुपये का कर्ज दिया था. वह अब वह पैसा नहीं लौटा रहा है. मैंने उसे अब तक दो लीगल नोटिस भेजा है. लेकिन इसे भी रिसीव नहीं कर रहा है. मुझे अब अपना पैसा लेने के लिए क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : आप उस व्यक्ति को एक लीगल नोटिस भेजिये अगर वह इस बार भी रिसीव नहीं करता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 138 के तहत नोटिस भेजने के 15 दिनों के भीतर कोर्ट में मनी सूट दायर कर दें. इस समय सीमा का निश्चित तौर पर ख्याल रखें. नहीं तो कोर्ट में आपकी याचिका खारिज हो सकती है.

पिता के निधन पर उनकी संपत्ति में बेटियों को हिस्सा मिलेगा?


कसमार से सुशील कुमार जयसवाल का सवाल : मैंने 50 साल की उम्र में एलआइसी से 15 वर्षों के लिए जीवन सरल पॉलिसी ली थी. मैंने सभी प्रीमियम समय पर जमा की थी. लेकिन अब एलआइसी मेरे बांड पेपर पर दर्ज मैच्योरिटी की राशि से कम पैसा दे रहा है. बीमा कंपनी का कहना है कि, इसमें मैंने उम्र सीमा का पालन नहीं किया है. मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि आपने जब यह पॉलिसी ली थी, उस समय उम्र संबंधी बाध्यता की जानकारी नहीं दी गयी थी. ऐसे में बांड पेपर पर दर्ज मैच्योरिटी की राशि से कम भुगतान करना, एक तरह से उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी है. आपको इस मामले में बोकारो के उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत करनी चाहिए.
जामताड़ा से ललित पंडित का सवाल : क्या नोटरी के पास जमीन से संबंधित कागजात का वेरिफिकेशन करने या दस्तावेज़ तैयार करने का अधिकार होता है? अगर ऐसा नहीं है, तो ऐसे नोटरी के खिलाफ शिकायत कहां और कैसे की जा सकती है?
अधिवक्ता की सलाह : नोटरी के पास जमीन की वैधता जांचने या दस्तावेजों की कानूनी समीक्षा करने का अधिकार नहीं होता है. यह अधिकार केवल अंचलाधिकारी, रजिस्ट्रार कार्यालय, बंदोबस्त कार्यालय जैसे विभागों के पास होता है. अगर कोई नोटरी इस तरह के गलत कार्य करता है तो उसकी शिकायत संबंधित जगह के डीसी या एसडीओ के पास कर सकते हैं, क्योंकि इनकी नियुक्ति राज्य सरकार के माध्यम से होती है. इनके कामकाज की निगरानी डीसी, एसडीएम या लॉ डिपार्टमेंट करता है.
तोपचांची से समीर कुमार मंडल का सवाल : मेरी पत्नी का चयन आंगनबाड़ी सहायिका के पद पर आमसभा के माध्यम से किया गया था. इसमें पंचायत प्रतिनिधियों के साथ सक्षम पदाधिकारी भी मौजूद थे. बाद में पंचायत के मुखिया ने उसकी नियुक्ति को रद्द कर दिया. ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : आपकी पत्नी का चयन यदि सुनियोजित प्रक्रिया और सरकारी नियमों के तहत हुआ था और उसमें आमसभा की पुष्टि, सक्षम पदाधिकारियों की उपस्थिति, तथा दस्तावेजी प्रमाण मौजूद हैं, तो मुखिया द्वारा नियुक्ति रद्द करना अधिकार क्षेत्र से बाहर का कार्य हो सकता है. आपको इस मामले में उपायुक्त से शिकायत करनी चाहिए.
झरिया से गोपाल नाथ का सवाल : झरिया स्थित रानी तालाब के बड़े हिस्से पर अतिक्रमण कर दबंगों ने कब्जा कर लिया है. वहां घर तक बना लिया है. मुझे अतिक्रमण हटाने के लिए क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : इस मामले में आपको पहले डीसी, नगर आयुक्त, एसएसपी और नगर विकास सचिव से शिकायत करनी चाहिए. अगर यहां आपकी बात नहीं सुनी जा रही है तो फिर इसके खिलाफ आप को हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करना चाहिए.
बैंक मोड़ से आशीष नाग का सवाल : अगर पिता का निधन हो जाए तो उनकी संपत्ति में क्या बेटियों को हिस्सा मिलेगा?
अधिवक्ता की सलाह : पिता ने निधन से पहले अगर अपनी संपत्ति को लेकर वसीयत नहीं किया है या फिर अपने किसी बेटे के नाम पर नहीं कर दिया है तो निश्चित तौर पर पिता की संपत्ति में बेटियों का कानूनी हिस्सा बनता है.

ये भी पढ़ें: ‘हम दो हमारे दो नहीं, चार बच्चे पैदा करें’ जमशेदपुर में ये क्या बोल गए जयराम महतो! JLKM का कई लोगों ने थामा दामन

संबंधित खबर और खबरें

यहां धनबाद न्यूज़ (Dhanbad News) , धनबाद हिंदी समाचार (Dhanbad News in Hindi), ताज़ा धनबाद समाचार (Latest Dhanbad Samachar), धनबाद पॉलिटिक्स न्यूज़ (Dhanbad Politics News), धनबाद एजुकेशन न्यूज़ (Dhanbad Education News), धनबाद मौसम न्यूज़ (Dhanbad Weather News) और धनबाद क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version