मंगलवार 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस है. नृत्य कला में गायन, वादन व नृत्य का समावेश होता है. गायन, वादन व नृत्य मानव को जीवन के प्रति आशान्वित करते हैं. काला हीरा की धरती कोयलांचल में कथक की नृत्य गुरु कल्पना मल्लिक, भरतनाट्यम की गुरु मीनाक्षी सरकार की जगह आज भी रिक्त है. इसके बावजूद यहां की नृत्यांगनाएं नयी पीढ़ी को शास्त्रीय नृत्य, रवींद्र नृत्य के छंद, ताल व भाव भंगिमा सीखा रही हैं. यहां चल रहे डांस क्लासेज में बच्चियों के साथ बच्चे भी डांस सीख रहे हैं. डांस क्लास संचालिकाओं को कोयलांचल में आर्ट गैलरी, डांस वर्कशॉप, नृत्यशाला आदि सुविधाओं की कमी का मलाल है. इसके बावजूद वे नयी पीढ़ी को नृत्यकला में पारंगत करने में जुटी हैं. उनका कहना है नृत्य साधना, समर्पण व समय मानता है. जबकि आज के लोग वेस्टर्न डांस में दिलचस्पी ले रहे हैं.
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