Dhanbad News : जिप सदस्य के पति ने डीडब्ल्यूएसडी के कार्यपालक अभियंता से किया अभद्र व्यवहार

हंगामेदार रही जिला परिषद बोर्ड की बैठक, विवाद के बाद अध्यक्ष शारदा सिंह ने जिप सदस्य पतियों को बैठक से बाहर जाने के लिए कहा

By NARENDRA KUMAR SINGH | May 4, 2025 1:03 AM
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न्यू टाउन हॉल में शनिवार को आयोजित जिला परिषद बोर्ड की बैठक हंगामेदार रही. माहौल उस समय तनावपूर्ण हो गया, जब जिला परिषद सदस्य श्वेता कुमारी के पति राजू महतो ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रमंडल टू मुकेश कुमार के साथ अभद्र व्यवहार किया. उस समय कार्यपालक अभियंता जिप सदस्य श्वेता कुमारी द्वारा बलियापुर प्रखंड की ‘घड़बड़ जलापूर्ति योजना’ के संबंध में पूछे गये सवालों के जवाब दे रहे थे. उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान उन्होंने राजू महतो को संपर्क करने के लिए फोन किया था, लेकिन उनका मोबाइल फोन स्विच ऑफ था. इस पर राजू महतो ने आपत्ति जताते हुए हंगामा शुरू कर दिया. उन्होंने अभियंता पर झूठ बोलने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि उनका फोन कभी बंद नहीं होता और इसके साथ ही उन्होंने अभद्र भाषा का प्रयोग किया. अभियंता भी उनके इस व्यवहार से आक्रोशित हो गये. विवाद बढ़ता देख जिला परिषद अध्यक्ष शारदा सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए बैठक में मौजूद सभी महिला जिप सदस्यों के पतियों को सभागार से बाहर जाने का निर्देश दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि बोर्ड की बैठक में केवल जिला परिषद सदस्य, विधायक, सांसद या उनके अधिकृत प्रतिनिधि व संबंधित विभागों के अधिकारी ही भाग ले सकते हैं. इसके बावजूद कुछ जिप सदस्यों के पति बैठक में मौजूद रहे. घटना के बाद उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (सीइओ) सादात अनवर ने सभी उपस्थित जनों से गरिमा बनाये रखने की अपील की. बैठक में सिंदरी विधायक चंद्रदेव महतो, जिप अध्यक्ष शारदा सिंह, जिला आपूर्ति पदाधिकारी प्रदीप शुक्ला, जिला पंचायती राज पदाधिकारी मुकेश कुमार बाउरी, सिविल सर्जन डॉ चंद्रभानु प्रतापन समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे.

विवाद की वजह :

‘घड़बड़ जलापूर्ति योजना’ की होगी जांच :

कार्यपालक अभियंता ने बताया कि यह योजना 71 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गयी है. इसके अंतर्गत बलियापुर प्रखंड के 41 पंचायतों में हर घर तक जल आपूर्ति का लक्ष्य था, लेकिन नौ वर्षों में योजना का लाभ केवल 21 पंचायतों तक ही पहुंच पाया है. शेष 20 पंचायतों में अभी भी कार्य लंबित है. इस परियोजना का टेंडर लेने वाली श्रीराम ईपीसी नामक एजेंसी को अब तक 62 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि योजना में देरी को लेकर उपायुक्त ने एक जांच समिति गठित करने का निर्देश दिया है और जल्द ही जांच शुरू होगी.

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