मयुराक्षी बायांतट मुख्य नहर के पानी के भरोसे इसके सिंचित इलाके के किसानों ने रबी खेती के साथ गरमा धान फसल की खेती भी की है. सिंचित इलाके के खेतों में गरमा धान फसल लहलहा रही है. किसानों का कहना है कि डैम से यदि बंगाल के लिए पानी नहीं छोड़ा जायेगा तो गरमा धान में पटवन के लिए पानी की कमी नहीं होगी.
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पिछले साल अच्छी बारिश नहीं होने से डैम पूरी तरह से नहीं भरा था. डैम का जलस्तर कम रहने से डैम से इस बार पश्चिम बंगाल को गरमा धान की खेती के लिए पानी उपलब्ध नहीं कराया गया है. वहीं मयुराक्षी बायांतट मुख्य नहर से इलाके के किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए दस दिनों के अंतराल में पानी उपलब्ध कराया जा रहा है.
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डैम से नहर में पानी उपलब्ध कराये जाने के साथ पीने के लिए भी पानी उपलब्ध कराया जाता है. डैम के पानी से दुमका, मसलिया तथा रानीश्वर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर पाइपलाइन के माध्यम से जलापूर्ति की जाती है. डैम से रानीबहाल महेषबथान, कोलारकोंदा दिगुली, सीतपाहाड़ी, हारोरायडीह, पारसिमला, बास्कीचक में इंटेकवेल से पानी सप्लाई की जाती है. डैम का जलस्तर 360 फीट के आसपास पहुंच जाने से पेयजलापूर्ति के लिए भी पानी संकट उत्पन्न हो सकता है.