प्रचंड गर्मी व बिजली कटौती से लोग बेहाल

अघोषित बिजली कटौती के कारण ग्रामीण परेशान हैं और इलेक्ट्रोनिक दुकानदार मायूस हो रहे हैं. यह समस्या कई जगहों पर देखी जा रही है

By ANAND JASWAL | June 14, 2025 8:59 PM
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सरैयाहाट. तापमान बढ़ने के साथ ही बिजली की मांग भी करीब डेढ़ गुना बढ़ गयी है. ऐसे में दिन व रात में हो रही अघोषित बिजली कटौती लोगों के जी का जंजाल बनने लगी है. आमतौर पर मई, जून, जुलाई, अगस्त में बिजली की मांग अधिक हो जाती है. ग्रामीण क्षेत्र में दिन हो या रात, बिजली की आंखमिचौनी मुसीबत बनी हुई है. रात में बिजली आपूर्ति के समय में भी बार-बार बिजली की आंखमिचौली लगी रहती है. अघोषित बिजली कटौती के कारण ग्रामीण परेशान हैं और इलेक्ट्रोनिक दुकानदार मायूस हो रहे हैं. यह समस्या कई जगहों पर देखी जा रही है, जहां अघोषित बिजली कटौती के कारण लोग परेशान हैं और उनके काम भी प्रभावित हो रहे हैं. करीब 12 से 14 घंटे ही बिजली मिल पाती है. भीषण गर्मी में लोग बाहर निकलने की बजाय घरों में रहना पसंद कर रहे है. बाहर लोगों को गर्मी, तेज धूप व धूलभरी हवाओं का सामना करना पड़ता है. लेकिन घर में रहने के दौरान बिजली नहीं मिलने से भी समस्याएं होती है. हल्की हवा चलने पर कई घंटे बिजली आपूर्ति बाधित हो जाती है,

कहते हैं दुकानदार :

अब तो हद हो गयी है बिजली कटौती की. हम दुकानदारों का ही ऐसी गरमी में बुरा हाल है, तो ग्राहक काहे को यहां रुकेगा. इसके कारण बाजार पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. इलेक्ट्रोनिक दुकानदारों का कामकाज भी बिजली कटौती के कारण प्रभावित हो रहा है.

– विक्रम कुमार भगत, सरैयाहाट

– सुरेश भगत, इलेक्ट्रोनिक दुकानदार, सरैयाहाट

बिजली कटौती के कारण हम दुकानदारों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. बिजली सामग्री की बिक्री काफी मंदा पड़ गयी है. इस भयंकर गर्मी में बिजली विभाग बेपरवाह बनकर बैठा हुआ है.

– मो नवाज, इलेक्ट्रिक दुकानदार, सरैयाहाट

तीखी धूप से मक्के की फसल को हो रहा नुकसान

सरैयाहाट.

दो सप्ताह से पड़ रही तेज गर्मी लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है. गर्मी का सर्वाधिक खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. तेज गर्मी मक्का फसल के लिए मुसीबत बन चुकी है. कई किसानों ने बताया कि मक्का की कुछ प्रजातियां तेज गर्मी का सहन नहीं कर पाती है. अधिक तापमान के कारण मक्का को काफी नुकसान हो रहा है. खेतों में पर्याप्त नमी रखने के लिए वे जैसे तैसे पटवन कर रहे हैं. बारिश नहीं होने से खासकर मक्का की फसल काे काफी नुकसान हो रहा है.गर्मी के कारण कीट का प्रकोप काफी बढ़ जाता है. धान का बिचड़ा गिराने के लिए किसानों द्वारा खेत को तैयार कर लिया गया है. लेकिन अब तक अधिकतर किसान खेत में बिचड़ा तक नहीं डाल पा रहे हैं क्योंकि बारिश इतनी कम हुई है कि खेत गीला नहीं हो पाया है. हालांकि जिन किसानों के पास अपना सबमर्सिबल पंप है, वैसे किसान खेतों में पटवन कर बिचड़ा डाल रहे हैं. लेकिन वह बिचड़ा तभी लग पायेगा, जब खेतों में पर्याप्त पानी रहेगा. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लंबी अवधि वाले धान के बिचडे़ 10 जून तक गिराने का बेहतर समय रहता है. यह समय बिचड़े गिराने के लिए उपयुक्त है.

कहते हैं पदाधिकारी :

-जोन सोरेन, प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, सरैयाहाटB

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