गढ़वा-सरगुजा क्षेत्र में हाथी हमले अधिक, जान-माल की सुरक्षा पर बनी रणनीति

चार राज्यों के वन अधिकारियों की बैठक में बना साझा एक्शन प्लान

By Akarsh Aniket | July 30, 2025 9:31 PM
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चार राज्यों के वन अधिकारियों की बैठक में बना साझा एक्शन प्लान जितेंद्र सिंह, गढ़वा. गढ़वा और सरगुजा सीमावर्ती क्षेत्र में हाथियों के बढ़ते उत्पात को लेकर सरगुजा (छत्तीसगढ़) में अंतरराज्यीय वन समन्वय समिति के बैनर तले चार राज्यों, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के वन अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गयी. इस बैठक में हाथियों के हमले में हो रही जान-माल की क्षति को रोकने तथा त्वरित सूचना तंत्र विकसित करने पर मंथन हुआ. बैठक में झारखंड के गढ़वा से दो डीएफओ, छत्तीसगढ़ के बलरामपुर, एमपी के सिंगरौली और यूपी के सोनभद्र से वरिष्ठ वन अधिकारी, पीसीसीएफ व अन्य अधिकारी शामिल हुए. गढ़वा के दक्षिणी वन प्रमंडल पदाधिकारी एबीन बेनी अब्राहम ने बताया कि बैठक में हाथी विचरण मार्ग, हमलों की रोकथाम और राहत तंत्र को लेकर साझा रणनीति बनी है. उन्होंने बैठक को सार्थक और भविष्य में उपयोगी साबित होने वाली बताया. …………………… गढ़वा में सबसे ज्यादा नुकसान, 18 लोगों की जा चुकी है जान वर्ष 2024-25 में अब तक गढ़वा जिले में हाथियों के हमलों में 18 लोगों की मौत हो चुकी है. मार्च 2025 से अब तक चार और लोगों की जान जा चुकी है, जबकि दर्जनों ग्रामीण घायल हुये हैं. विशेषकर गढ़वा के धुरकी, सगमा, चिनिया और बड़गड़ प्रखंडों में हाथियों का उत्पात सबसे ज्यादा है. कनहर नदी के दोनों ओर फैले घने जंगल हाथियों के आवागमन का प्रमुख मार्ग बन चुके हैं. सरगुजा (छत्तीसगढ़) में इस अवधि में हाथी हमलों से सात लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि मार्च 2025 से अब तक पांच ग्रामीणों की जान जा चुकी. हालांकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में अभी तक जान की हानि नहीं हुई है, लेकिन फसल और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा है. ……………………. आपसी समन्वय और सूचनाओं के आदान-प्रदान पर सहमति बैठक में निर्णय लिया गया कि वन विभागों के बीच आपसी समन्वय और सूचनाओं के आदान-प्रदान को मजबूत किया जायेगा, ताकि जंगलों में होने वाली घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई की जा सके. वन्य जीव और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर आपसी साझा रणनीति पर भी सहमति बनी है. …………… मानव जीवन को बचाने की रणनीति पर हुई चर्चा : डीएफओ इस संबंध में अंतरराज्यीय बैठक से लौटे गढ़वा दक्षिणी वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) एबीन बेनी अब्राहम ने बताया कि बैठक में हाथी विचरण मार्ग और ग्रामीणों पर हमले को रोकने के लिए रणनीति बनी. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे गढ़वा के कनहर तटीय क्षेत्र अतिसंवेदनशील है और इस क्षेत्र में हाथियों का आतंक अधिक रहता है.

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