प्रतिनिधि, मेदिनीनगर शहर के आबादगंज मोहल्ला स्थित गणेश लाल सरावगी स्मृति भवन परिसर में आयोजित श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान व विश्व शांति महायज्ञ में जैन धर्मावलंबियों की भीड़ लग रही है. जैन समाज के लोग श्रद्धा व भक्ति भाव से धार्मिक अनुष्ठान में हिस्सा ले रहे हैं. महायज्ञ के पांचवें दिन प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी अन्नू भैया ने विधि विधान से श्री आदिनाथ भगवान का जलाभिषेक व नित्य पूजन कराया. इसके बाद रिद्धि मंत्रों द्वारा जिनेंद्र प्रभु के समक्ष 256 अर्घ्यों को समर्पित कराया गया. विधानाचार्य ने कहा कि इन अर्घ्यों के माध्यम से 108 प्रकार के पापों से मुक्ति पाने और 20 विशेष गुणों को प्राप्त करने की कामना श्री सिद्ध प्रभु से की जाती है. उन्होंने कहा कि जैन धर्म में 108 प्रकार के पापों से मुक्ति के लिए प्रतिक्रमण व नवाकर मंत्र के जाप का विधान बताया गया है. इस तरह पापों से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति को पश्चाताप, मंत्र जाप,व्रतों का पालन,प्रायश्चित और अच्छे कर्म के माध्यम से सार्थक प्रयास करना चाहिए. जैन धर्म में 20 गुण आत्म नियंत्रण,नैतिकता, आध्यात्मिक विकास और मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा कि जैन धर्म में कर्म बंधनों से मुक्ति संभव है,क्योंकि यह धर्म कर्म के सिद्धांत पर आधारित है. कर्म बंधनों से छुटकारा पाने के लिए आत्मानुशासन व सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि जैन धर्म के विधान में 16 महा सतियां हैं जिन्हें आदर्श माना जाता है. विशेष पूजा अनुष्ठान में शांति देवी छाबड़ा, सुशीला गंगवाल, मीणा गंगवाल, हीरा रारा, कनक रारा, सरिता रारा, बरखा गंगवाल, सीमा पाटनी, प्रमिला कासलीवाल, रमा रारा, ममता रारा, हिमानी गंगवाल, पुष्पा कासलीवाल, ज्योति रारा, महिमा गंगवाल, रितिका विनायका को 16 सतियों के रूप में पूजन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. संध्याकालीन आरती व प्रवचन में काफी संख्या में जैन समाज के लोग मौजूद थे.
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