राष्ट्र के प्रति तन-मन और धन से समर्पण ही है राष्ट्रवाद
राष्ट्र के प्रति तन-मन और धन से समर्पण ही है राष्ट्रवाद
By SANJAY | May 10, 2025 9:37 PM
गढ़वा.
स्थानीय जीएन कांवेंट प्लस टू स्कूल में राष्ट्र के प्रति प्रेम और निष्ठा को दर्शाती संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के निदेशक मदन केशरी एवं उप प्राचार्य बीके ठाकुर ने दीप प्रज्वलित कर एवं भारत माता और महाराणा प्रताप के चित्र पर पुष्प अर्पित कर की. कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए निदेशक ने कहा कि भारत एक सांस्कृतिक, धार्मिक और बहुभाषायी देश है. राष्ट्रवाद ही वह धागा है, जो लोगों को उनके विभिन्न सांस्कृतिक व जातीय पृष्ठभूमि से संबंधित होने के बावजूद एकता के सूत्र में एक साथ बांधता है. राष्ट्रवाद राष्ट्र के प्रति प्रथम कर्तव्य, राष्ट्र के प्रति आराधना और प्रार्थना है जो समर्पण, त्याग और बलिदान की समर्थ प्रतिमूर्ति है. यह कश्मीर से कन्याकुमारी तक सभी भारतीयों को एकजुट करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. राष्ट्रवाद एक ऐसी अवधारणा है जिसमें राष्ट्र सर्वोपरि होता है अर्थात राष्ट्र को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाती है. यह एक ऐसी विचारधारा है जो किसी भी देश के नागरिकों के साझा पहचान को बढ़ावा देती है. किसी भी राष्ट्र की उन्नति एवं संपन्नता के लिए नागरिकों में राष्ट्र के प्रति गौरव की भावना को मजबूती प्रदान करना आवश्यक है और इसमें राष्ट्रवाद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. राष्ट्रवाद ही वह भावना है जो सैनिकों को देश की सीमा पर डटे रहने की ताकत देती है. राष्ट्रवाद की वजह से ही देश के नागरिक अपने देश के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने से पीछे नहीं हो हटते. वह राष्ट्रवाद ही है जो किसी भी देश के नागरिकों को उनके धर्म, भाषा, जाति,लिंग इत्यादि सभी संकीर्ण मनोवृति को पीछे छोड देश हित में एक साथ खड़े होने की प्रेरणा और ताकत देता है.
इनकी रही भूमिका : कार्यक्रम को सफल बनाने में विज्ञान शिक्षक विरेंद्र शाह, विकास कुमार, मुकेश भारती, जुनियर विंग के इंचार्ज खुर्शीदअलम, नीलम कुमारी,सरिता दुबे, सुनीता कुमारी, रागिनी कुमारी, शिवानी कुमारी, ऋषभ श्रीवास्तव, पूजा प्रकाश व संतोष प्रसाद की भूमिका सराहनीय रही.
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