गढ़वा. बासंतिक नवरात्र पर गढ़देवी मुहल्ला स्थित नरगिर आश्रम में चल रहे रामकथा अमृतवर्षा के दूसरे दिन अयोध्या वासी संत बाल स्वामी प्रपन्नाचार्य ने रामकथा के महत्व और रामावतार के कारणों पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े मुनियों, ज्ञानियों व सिद्ध योगियों ने अपना पूरा जीवन साधना और तपस्या में खपा दिया. फिर भी राम को पूर्णतः नहीं जान पाये. राम परमब्रह्म अनादि और अनंत है. प्रयागराज में भारद्वाज मुनि ने महर्षि याज्ञवल्क्य से रामकथा सुनाने की याचना की जो स्वयं भी महर्षि वाल्मीकि के शिष्य थे. अपने से ज्ञानी और श्रेष्ठ के पास से कुछ ज्ञान लेना हो, तो अज्ञानी बन कर जाना चाहिए. याज्ञवल्क्य ने भारद्वाज जी से कहा कि शिवजी की कृपा के बिना राम भक्ति कभी नहीं मिल सकती. इसलिए उन्होंने भारद्वाज जी को रामचरित के पहले शिव महिमा सुनाया. नित्य राम नाम के जप में लीन रहनेवाले शिवजी को आदि वैष्णव कहा गया है. भगवान शिव की कथा के बिना रामकथा अधूरी होती है. कथा फल प्राप्ती के लिए नहीं बल्कि निष्काम भाव से सुननी चाहिए. कथा श्रवण के पहले अपने ज्ञान, तर्क, संशय और प्रतिष्ठा को दरकिनार कर लेना चाहिए, तभी कथा आप तक पहुंच पायेगी. अन्यथा पंडाल मे बैठे हजारों लोगों के पास कथा नहीं पहुंच पाती. भगवान शिव ने जब माता सती को रामकथा सुनायी, तो असावधानी से सुनने के कारण उनके मन मे संशय रह गया था, जो उनके लिए विनाशकारी साबित हुआ. श्रद्धा और विश्वास के बिना सफल नहीं हो सकता : प्रपन्नाचार्य ने कहा कि भगवान शिव और पार्वती विश्वास और श्रद्धा के प्रतीक हैं. कोई भी यज्ञ, जप व योग श्रद्धा और विश्वास के बिना सफल नहीं हो सकता. बाल स्वामी जी ने निराकार परम ब्रह्म के साकार राम रूप मे अवतरित होने के अनेक कारण गिनाये. जब-जब अधर्म, अन्याय, अनीति व असत्य का धरती पर बोलबाला हो जाता है और धर्म की हानि होती है, तो परम ब्रह्म साकार रूप में विविध रूप मे अवतरित होकर पृथ्वी का उद्धार करते है. श्रवण के माता पिता का श्राप, नारदमुनि का दिया गया श्राप, भगवान विष्णु के पार्षद जय-विजय को मिला श्राप तथा मनु शतरूपा को मिले वरदान जैसे अनेक कारणों के कारण भगवान विष्णु को राम के रूप मे अवतार लेना पड़ा. एसडीओ का किया स्वागत : कार्यक्रम के दौरान रामकथा आयोजन समिति के अध्यक्ष चंदन जायसवाल ने कथा में पधारे गढ़वा एसडीएम संजय पांडेय को समिति की ओर से सम्मानित किया. वहीं कथा मे उपस्थित सभी श्रद्धालुओं का रामकथा का लाभ लेने के लिए आभार व्यक्त किया. उपस्थित लोग : मौके पर जगजीवन बघेल, दीनानाथ बघेल, जयशंकर बघेल, गुड्डू हरि, विकास ठाकुर, भरत केशरी, गौतम शर्मा, धर्मनाथ झा, अजय राम, गौतम चंद्रवंशी, सोनू बघेल, पवन बघेल, सुमित लाल, अजय सिंह, राकेश चंद्रा, सूरज सिंह, शांतनु केशरी, मुन्ना बघेल, शुभम् चंद्रवंशी, सोनू व सुंदरम शिवा उपस्थित थे.
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