जिप सदस्य ने कहा कि डुमरी प्रखंड से करीब 50,000 से अधिक प्रवासी मजदूर झारखंड से अन्य प्रदेश एवं दूसरे देश में खुद और परिवार के जीवकोपार्जन को लेकर काम करते हैं. जानकारी के अभाव में दस प्रतिशत लोगों का भी रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है, जिस कारण बाहर काम कर रहे प्रवासी मजदूरों के साथ अप्रिया घटना होने या आकस्मिक निधन होने के बाद पीड़ित परिवार को सरकारी प्रावधान के तहत मुआवजा नहीं मिल पाता है. इतना तक कि अगर काम करने के दौरान किसी की मौत हो जाती है तो शव को घर मंगवाने के लिए आर्थिक रूप से एक दूसरे से मदद लेकर ली जाती है.
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