मुख्य अतिथि संघ के महासचिव चुन्नूकांत ने कहा कि इस तरह की गड़बड़ी केवल संघ के सहारे नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयास से रोकी जा सकती है. इस कार्य में नोटरी और अधिवक्ताओं की अहम भूमिका पर चर्चा करते हुए महासचिव ने कहा कि अधिवक्ता व अधिवक्ता लिपिक से जुड़े तमाम कल्याण और सामाजिक कार्यों का एक मुख्य स्रोत न्यायिक कार्य के दौरान लगनेवाले शपथ पत्र एवं अन्य फॉर्म आदि हैं. किंतु हाल के दिनों में इस तरह के शपथ पत्र और फॉर्म में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और जालसाजी की खबरें सामने आयी हैं. उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए कई बार कानूनी कार्रवाई की गयी. दोषी लोग जेल भी गये. फिर भी यह गोरखधंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है. यह कार्य तभी रुकेगा, जब इसे सामूहिक प्रयास के जरिए रोकने का प्रयास किया जायेगा. बैठक में उपस्थित नोटरी ने भी अपने सुझाव दिये. बताया कि शपथ पत्र पर जो अधिवक्ता हस्ताक्षर करते हैं, उन्हें भी सतर्क रहने की जरूरत है. कई बार ऐसे शपथ पत्र में लघु हस्ताक्षर और संबंधित अधिवक्ता का नाम नहीं रहता है, जिस कारण भारी परेशानी होती है.
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