Giridih News :स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल जारी, मरीजों को हो रही परेशानी

Giridih News :जिले में आउटसोर्सिंग व्यवस्था के तहत कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल बुधवार को तीसरे दिन भी जारी रही. गिरिडीह सदर अस्पताल के साथ-साथ जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों और उपस्वास्थ्य केंद्रों में तैनात कर्मी हड़ताल पर रहे जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है.

By PRADEEP KUMAR | June 25, 2025 11:33 PM
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जिले में आउटसोर्सिंग व्यवस्था के तहत कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल बुधवार को तीसरे दिन भी जारी रही. गिरिडीह सदर अस्पताल के साथ-साथ जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों और उपस्वास्थ्य केंद्रों में तैनात कर्मी हड़ताल पर रहे जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है. सदर अस्पताल में प्रतिदिन इलाज के लिए शहर के अलावा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं, लेकिन कर्मियों की हड़ताल के कारण अस्पताल में मरीजों को समय पर इलाज नहीं हो रहा है. स्थिति यह हो गयी है कि कई मरीज बिना इलाज कराये ही लौट रहे हैं. अस्पताल में पंजीयन से लेकर इलाज तक की प्रक्रिया प्रभावित है. धरना पर बैठे स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि उनकी मांगें लंबे समय से लंबित हैं. इससे पहले भी कई बार आश्वासन देकर आंदोलन को खत्म करवाया गया, लेकिन मांग पूरी नहीं हुई. इस बार मांग पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा. बता दें कि मंगलवार को सिविल सर्जन कार्यालय की ओर से एक पत्र जारी कर कहा गया था कि एक सप्ताह के भीतर कर्मियों की मांगों का समाधान किया जाये. यह पत्र आउटसोर्सिंग कंपनी बालाजी डिटेक्टिव फोर्स और शिवा प्रोटेक्शन फोर्स को सौंपा गया था, लेकिन पत्र जारी होने के एक दिन बाद भी हड़ताल पर कोई असर नहीं पड़ा है और स्वास्थ्यकर्मी अपने आंदोलन पर अडिग हैं.

मंत्री इरफान ने कहा धरना बंद करो, वरना काम छोड़ दो : जेएलकेएम

हड़ताल का नेतृत्व कर रहे जेएलकेएम के नेता नागेंद्र चंद्रवंशी ने स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी पर आंदोलनरत कर्मियों को फोन कर डराने-धमकाने का आरोप लगाया है. कहा कि मंगलवार को बगोदर अस्पताल में कार्यरत एक महिला स्वास्थ्यकर्मी को मंत्री ने फोन कर धरना खत्म करने के लिए कहा. इतना ही नहीं, कथित तौर पर उन्होंने यह भी कहा कि अगर धरना नहीं रोका गया, तो काम छोड़ना पड़ेगा. इस बातचीत का ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है. कहा कि एक जनप्रतिनिधि होकर मंत्री इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. मंत्री तय करें कि वे झारखंड के लोगों को रोजगार देंगे या डराकर नौकरी से निकालने की धमकी. चेतावनी देनी है तो संबंधित आउटसोर्सिंग कंपनी या सिविल सर्जन को दैं, जो इन कर्मचारियों के ठेकेदार हैं. गरीब और शोषित कर्मियों को धमकाना पूरी तरह अनुचित है. कहा कि मंत्री हड़ताल समाप्त करवाना चाहते हैं, तो कर्मियों की मांग पूरी करने की अपल करें.

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