गांव के बाहर अकेले सड़क पर बैठ गये थे महेंद्र सिंह
सड़क पर पुलिस की गतिविधि तेज थी. माले कार्यकर्ताओं और समर्थकों को तलाश करना कठिन था. ऐसे में महेंद्र सिंह ने बाजार से लाल रंग का कपड़ा खरीदा, रंग और ब्रश लिया और आईपीएफ जिंदाबाद, घुटुआ गोलीकांड के दोषियों को बर्खास्त करो…, जैसे नारे लिखकर गांव के बाहर अकेले सड़क पर अकेले बैठ गये. उनके धरना पर बैठते ही सशस्त्र पुलिस की गाड़ी रूकी. इसके बाद एक अधिकारी ने उनसे पूछा- कौन हो जी, यहां कैसे बैठ गये? फिर सिपाहियों को आदेश दिया गया कि इनका झंडा और बैनर फेंक दो.
महेंद्र सिंह ने दिया ये जवाब
महेंद्र सिंह ने बड़े ही शांत भाव से कहा कि अगर आपका संविधान इस बात की अनुमति देता है कि शांतिपूर्ण धरना पर बैठे व्यक्ति का झंडा, बैनकर फेंक देना चाहिए, तो फेंक दीजिये. अधिकारी थोड़ा सहमा, फिर बोला- अच्छा ठीक है बैठे रहो, लेकिन हल्ला गुल्ला मत करना. गाड़ी आगे चली गयी. इस बीच ग्रामीणों को खबर मिली कि महेंद्र सिंह गांव के बाहर धरना पर बैठे हैं तो वे धीरे-धीरे अपने घरों की ओर वापस लौटने लगे. हजारीबाग जिले की अन्य इकाइयों को पता चला तो वे लोग भी एकत्र होने लगे. इसके बाद जन आंदोलन का ऐसा ज्वार फूटा कि पुलिस प्रशासन को बैकफुट पर आना पडा. गोलीकांड के दोषी को सजा मिली. जनता का उत्साह बढ़ा और संगठन का विस्तार हुआ. ऐसा साहसी जन नेता बहुत मुश्किल से मिलता है.
सबके सामने कहा- मैं हूं महेंद्र सिंह
अपनी शहादत के समय भी महेंद्र सिंह चाहते तो बचकर निकल सकते थे. लेकिन आम जनता शूटरों का शिकार न बने इसलिए उन्होंने उन्होंने सबके सामने कहा कि मैं हूं महेंद्र सिंह. इसके बाद उन्हें गोली मार दी गयी. आज महेंद्र सिंह की हत्या हुए लगभग 20 वर्ष बीतने को है.
Also Read: दिल्ली के गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होंगे नेतरहाट के मुखिया राम बिशुन नगेसिया, लातेहार उपायुक्त ने दी बधाई