बेंगाबाद में मवेशियों के इलाज के लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट की व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो रहा है. फोन करने के बाद भी मोबाइल मेडिकल यूनिट का वैन ग्रामीण क्षेत्र में नहीं पहुंच पा रहा है. कागजी खानापूर्ति कर वैन का संचालन दिखाकर सरकारी राशि की लूट हो रही है. इधर, वैन के लाभ से वंचित क्षेत्र में मवेशियों के मरने की गति तेज पकड़ रही है. मवेशियों के मरने से पशुपालकों में इस व्यवस्था के प्रति रोष बढ़ने लगा है.
पशुपालकों को हो रहा भारी नुकसान
किसानों का कहना है कि जानकारी दिये बिना वैन आकर चला जाता है और ग्रामीण इसके लाभ से वंचित रहते हैं. वैन संचालन के नाम खानापूर्ति की जा रही है. पशुधन के मरने से पशुपालकों को भारी नुकसान हो रहा है. किसानों ने मोबाइल मेडिकल यूनिट के संचालन पर बीडीओ को निगरानी रखते हुए ग्रामीण क्षेत्र में शिविर लगाकर मवेशियों का इलाज व टीकाकरण कराने की मांग की है. पशुपालकों का कहना है कि पहले मवेशियों के शरीर में इंफेक्शन होता है जो गुठली का रूप ले लेती है. पशुओं के शरीर में गुठली होने के बाद बुखार आ जाता है. वहीं बाद में पशुओं के जीभ में फोड़ा हो जाता है जिससे खाना पीना बंद कर देता है. बताया खाना पीना बंद करने के बाद पशुओं के मुंह से झाग निकलने लगता है और देखते देखते उसकी मौत हो जाती है.
केस स्टडी-एक
बदवारा पंचायत के पिपरीटांड़ गांव के किसान चंदर यादव के दो मवेशियों के शरीर में चकता होने के बाद मुंह में फोड़ा हो गया और दो दिन में दोनों ने दम तोड़ दिया. दोनों पशुओं के मरने से किसान ने 40 हजार की पशुधन के नुकसान की बात कही है.
केस स्टडी-दो
केस स्टडी-तीन
क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि
झामुमो के प्रखंड सचिव खुर्शीद अनवर हादी का कहना है कि मोबाइल मेडिकल यूनिट संचालन के लिए प्रखंड के पशुपालन पदाधिकारी रोस्टर तैयार कर उसे सार्वजनिक करें. साथ ही उसके संचालन की नियमित निगरानी करें. कहा : बरसात के मौसम में मवेशियों में बीमारी बढ़ जाती है. इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार की महत्वपूर्ण मोबाइल मेडिकल यूनिट का लाभ पशुपालकों को मिलना सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि उनकी बीमारी और मौत पर काबू पाया जा सके.
टॉल फ्री नंबर पर संपर्क करें पशुपालक : पदाधिकारी
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