Durga Puja 2021: मां के दर्शन को बेताब गुमला के श्रद्धालु, कोरोना महामारी को खत्म करने की कर रहे हैं कामना

दुर्गोत्सव की धूम चारों ओर है. पूजा को लेकर गाइडलाइन भी जारी है. गुमला के पूजा पंडालों मं इन गाइडलाइन का पालन करते समिति के सदस्य दिख रहे हैं. मास्क, सोशल डिस्टैंसिंग व सेनिटाइजर का उपयोग हो रहा है. लोगों का मानना है कि अभी कोरोना संक्रमण गया नहीं, इसलिए सावधानी जरूरी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2021 4:35 PM
feature

Durga Puja 2021 (जगरनाथ, गुमला) : गुमला जिला के लोगों में कोरोना संक्रमण का डर है, लेकिन मां दुर्गा से दूरी नहीं हैं. भक्तों में मां दुर्गा के प्रति आस्था चरम पर है. हालांकि, मां के दर्शन में कुछ बंदिशें हैं. सरकारी नियम बाधक है, पर भक्ति में कोई बंदिशे नहीं है. ना ही कोई सरकारी नियम बाधक है. भक्त उसी उत्साह व उमंग से मां की पूजा कर रहे हैं, जिसकी परंपरा गुमला में रही है. मां के दर्शन में सैनिटाइजर, मास्क व सामाजिक दूरी का पालन हो रहा है.

खुद पूजा समिति कोरोना से बचने के लिए पहल कर रहे हैं. मां की प्रतिमा से 5 से 10 फीट की दूरी पर बैरिकेडिंग लगाया गया है. इसलिए श्रद्धालु के हाथ मां के चरणों तक नहीं पहुंच रहे हैं, लेकिन श्रद्धालु अपना दिल व आस्था मां की चरणों तक पहुंचा रहे हैं.

कोरोना संक्रमण के कारण गुमला में रावण दहन नहीं हो रहा है. 62 साल की पुरानी परंपरा इसबार टूट रही है. टूटती परंपरा से लोग मायूस जरूर हैं, लेकिन गुमलावासी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि अगर हम जीवित रहेंगे, तो अगले बरस वृहत रूप से रावण दहन किया जायेगा.

गुमला जो जंगल व पहाड़ों से घिरा है. झारखंड के अंतिम छोर पर बसा है. यह पठारी इलाका है. इस कारण गुमला जिले की परंपरा अनूठा है. आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण यहां दुर्गापूजा की परंपरा व इतिहास प्राचीन रहा है. अपने इतिहास काल में गुमला का यह दूसरा वर्ष है. जब गुमला में पूजा में कई बंदिशें हैं.

श्रीबड़ा दुर्गा मंदिर, बड़ाइक मुहल्ला, गुमला के अध्यक्ष निर्मल गोयल व सचिव रमेश कुमार चीनी कहते हैं कि जान है तो जहान है. इसलिए सरकारी गाइडलाइन के अनुसार पूजा हो रही है. महाष्टमी को लेकर मंदिर में बुधवार को भीड़ उमड़ पड़ी थी. भक्तों का जनसैलाब मां के दर (दरवाजे) पर खड़ा हो गया था. बड़ी मुश्किल से सोशल डिस्टैंसिंग का पालन कराते हुए पूजा कराया गया है.

गुमला जिला नागवंशी राजाओं का गढ़ रहा है. यहां जिस परंपरा से पूजा की शुरुआत हुई थी. वह परंपरा आज भी जीवित है. सिर्फ कोरोना को लेकर इसबार रावण दहन नहीं हो रहा है. बाकी पूजा की जो विधि विधान है, वह परंपरा कायम है. इस दुर्गापूजा में अगर हम गौर करें, तो कई बदलाव देखने को मिला है.

पंडाल और प्रतिमा का आकार छोटा हो गया. सड़कों पर सजावट नहीं है. लाइट नहीं लगे हैं. पंडालों का साधारण तरीके से सजावट हुई. साउंड सिस्टम की आवाज थमी रही. रावण दहन नहीं होगा. कहीं मेला नहीं लगा. सांस्कृतिक कार्यक्रम भी नहीं हो रहे हैं. कोरोना के कारण लगे इन बंदिशों से हजारों परिवारों के रोजी-रोटी पर असर पड़ा है. चूंकि, दुर्गापूजा व दशहरा मेला में लोग दुकान लगाकर घर की जीविका चलाते रहे हैं, लेकिन इस बार भी उनकी कमाई बंद हो गयी.

Posted By : Samir Ranjan.

संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version