बेहद प्रसिद्ध है गुमला जिला का ये मंदिर, हर मुराद होती है पूरी

पालकोट का दशभुजी मंदिर विश्व विख्यात है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. मां दशभुजी से दिल से मांगी गयी हर मुराद पूरी होती है. दशभुजी मंदिर के समीप घनी आबादी के अलावा समीप में एक प्राचीन तालाब भी है.

By Sameer Oraon | October 12, 2023 1:26 PM
an image

जगरनाथ पासवान, गुमला :

इतिहास गवाह है कि गुमला के नागवंशी राजा अपनी शक्ति को बढ़ाने के लिए देवी-देवताओं की पूजा करते थे. जिले में कई ऐसे मंदिर हैं, जो प्राचीन हैं व वर्षों से पूजा होती आ रही है. उन्हीं में झारखंड प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे गुमला जिले में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा पूजा का इतिहास काफी प्राचीन है. नागवंशी राजाओं ने जिले के पालकोट प्रखंड में सर्वप्रथम दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी. नागवंशी राजाओं द्वारा निर्मित मंदिर व मूर्ति आज भी साक्षात पालकोट में है. आज भी यहां दुर्गा पूजा की अपनी महता है. नागवंशी महाराजा यदुनाथ शाह ने 1765 में दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी.

यदुनाथ के बाद उनके वंशज विश्वनाथ शाह, उदयनाथ शाह, श्यामसुंदर शाह, बेलीराम शाह, मुनिनाथ शाह, धृतनाथ शाहदेव, देवनाथ शाहदेव, गोविंद शाहदेव व जगरनाथ शाहदेव ने इस परंपरा को बरकरार रखा. इस समय मां दशभुजी मंदिर के समीप भैंस की बली देने की प्रथा थी, परंतु जब कंदर्पनाथ शाहदेव राजा बने, तो उन्होंने बली प्रथा समाप्त कर दी. यहां 258 वर्ष से दुर्गा पूजा हो रही है. पालकोट का दशभुजी मंदिर विश्व विख्यात है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. मां दशभुजी से दिल से मांगी गयी हर मुराद पूरी होती है. दशभुजी मंदिर के समीप घनी आबादी के अलावा समीप में एक प्राचीन तालाब भी है. पालकोट में कई ऐसे धरोहर हैं, जो प्राचीन है. आज भी यहां माता की पूजा की कई परंपरा प्राचीन है. पालकोट से सुग्रीव का भी इतिहास जुड़ा हुआ है. क्योंकि, यहां सुग्रीव गुफा है. इसलिए इस क्षेत्र में धार्मिक कार्यक्रम हर साल पूरे श्रद्धा के साथ होता है. पालकोट मुख्यालय के अलावा अब कई स्थानों मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है.

अलंकेरा में 15 वर्षों से हो रही हैं मां भवानी की पूजा

पालकोट. प्रखंड के राजपुताना गांव अलंकेरा में मां भवानी की पूजा 15 वर्ष पूर्व गांव के इंद्रनाथ सिंह की अगुवाई में शुरू हुई थी. इस संबंध में गांव के अलख नारायण सिंह ने बताया कि उस समय संसाधन की कमी के चलते मात्र 1100 सौ रुपये से मां भवानी की पूजा शुरू हुई. कलांतर में अभी गांव वालों के सहयोग से मां की मूर्ति स्थापना कर पूजा की जाती है. भविष्य में भी वृहद बनाने की योजना है. गांव में एक विशाल मंदिर की नींव रखी जानी है. मां की पूजा के दौरान अखंड हरिकीर्तन व समापन समारोह के दिन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

यहां गुमला न्यूज़ (Gumla News) , गुमला हिंदी समाचार (Gumla News in Hindi), ताज़ा गुमला समाचार (Latest Gumla Samachar), गुमला पॉलिटिक्स न्यूज़ (Gumla Politics News), गुमला एजुकेशन न्यूज़ (Gumla Education News), गुमला मौसम न्यूज़ (Gumla Weather News) और गुमला क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर.

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version