गुमला, दुर्जय पासवान : नवरत्न गढ़, जिसे डोइसागढ़ भी कहते हैं. यह विश्व धरोहर है. नववर्ष में यहां घूमने-फिरने के अलावा इतिहास जानना है, तो जरूर आयें. रांची व गुमला मार्ग पर स्थित सिसई प्रखंड में नगर गांव हैं. सिसई से पांच किमी दूर नगर गांव है, जहां नवरत्नगढ़ हैं. मुगल साम्राज्य व नागवंशी राजाओं का इतिहास छिपा है. यह गांव अपने अंदर ऐतिहासिक धरोहर नवरत्न गढ़ को समेटे हुए हैं. आज इसका नाम वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल हैं. डोइसागढ़, नवरत्न गढ़, रानी लुकई, कमल सरोवर, कपिलनाथ मंदिर, भैरव मंदिर अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व नयनाभिराम प्राकृतिक दृश्य के कारण पर्यटकों को अपनी ओर सहज तरीके से आकर्षित करता है. यह छोटानागपुर के नागवंशी राजाओं का ऐतिहासिक धरोहर है. आज के इस हाई टेक युग से हजारों वर्ष पुरानी कहानी है. डोइसागढ़ जो आज नगर गांव के नाम से जाना जाता है. कभी यहां किलकारियां गूंजा करती थी. यहां के लोगों का पहनावा, बोलचाल, खानपान वर्तमान परिवेश से एकदम भिन्न था, परंतु आज यहां वीरानी है. नागवंशी राजाओं द्वारा बनाये गये अमूल्य भवन खंडहर में तब्दील हो रहे थे, जिसे पुरातत्व विभाग संरक्षण करने में लगा हुआ है. खंडहर भवनों की मरम्मत की जा रही है. इतिहास के अनुसार मुगल साम्राज्य से बचने के लिए राजा दुर्जनशाल ने इसे बनवाया था. नवरत्न गढ़ के चारों तरफ खाई थी और यहां घुसने का एक मात्रा पहाड़ी रास्ता हुआ करता था. इसलिए सुरक्षा के दृष्टिकोण से राजा दुर्जनशाल ने नवरत्नगढ़ को अपनी राजधानी बनाया था. लेकिन कलांतार में समय बदला. कई भवन जमींदोज हो गये. कुछ भवन अभी भी शेष हैं. खाई समय के साथ समाप्त हो गया और वह समतल जमीन का रूप ले लिया है. यह ऐतिहासिक स्थल नववर्ष में घूमने की बहुत अच्छी जगह है.
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