झारखंड के गुमला आएं तो इन स्थानों पर घूमना न भूलें, खूबसूरती ऐसी कि मन मोह लें

गुमला से 70 किमी दूर डुमरी प्रखंड के टांगीनाथ धाम में साक्षात भगवान शिव निवास करते हैं. सैलानियों को यहां धर्मकर्म के अलावा सुंदर व मनमोहक प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलेगा.

By Sameer Oraon | June 24, 2023 12:48 PM
an image

छत्तीसगढ़ से सटे गुमला जिला अंतर्गत डुमरी प्रखंड के मझगांव में टांगीनाथ धाम है. यहां कई पुरातात्विक और ऐतिहासिक धरोहर है. आज भी इन धरोहरों को देखा जा सकता है. यहां की कलाकृतियां और नक्कासी, देवकाल की कहानी बयां करती है. यह धार्मिक के अलावा पर्यटक स्थल के रूप में विश्व विख्यात है. धार्मिक कार्यक्रम हो या फिर नववर्ष की बेला. यहां लोग दूर-दूर से घूमने व धर्म कर्म में भाग लेने आते हैं. गुमला से 70 किमी दूर डुमरी प्रखंड के टांगीनाथ धाम में साक्षात भगवान शिव निवास करते हैं. सैलानियों को यहां धर्मकर्म के अलावा सुंदर व मनमोहक प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलेगा.

गुमला का नवरत्नगढ़ बेहद ऐतिहासिक है. यह रांची व गुमला मार्ग पर स्थित सिसई प्रखंड के नगर गांव में हैं. आज इसका नाम वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल है, क्योंकि छोटानागपुर के नागवंशी राजाओं की ऐतिहासिक धरोहर है. इतिहास के अनुसार मुगल साम्राज्य से बचने के लिए राजा दुर्जनशाल ने इसे बनवाया था.

गुमला मुख्यालय से 26 किमी की दूरी पर स्थित है हापामुनी गांव. महामाया मां मंदिर है. इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी है. मंदिर की स्थापना आज से 11 सौ साल पहले हुआ था. मंदिर के अंदर में महामाया की मूर्ति है. लेकिन महामाया मां को मंजुषा (बक्सा) में बंद करके रखा गया है. ऐसी मान्‍यता है कि महामाया मां को खुली आंखों से देख नहीं जा सकता है.

गुमला जिले से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है आंजन धाम. यह ना सिर्फ धार्मिक स्थल है बल्कि मनोरंजन के लिए बहुत अच्छी जगह है. घने जंगल व पहाड़ इस क्षेत्र की सुंदरता बढ़ाते हैं. ऐसी मानयता है कि भगवान हनुमान का जन्म यहीं हुआ था. बता दें कि यह पूरे देश में पहला मंदिर है, जहां माता अंजनी की गोद में भगवान हनुमान बैठे हुए हैं. यहां की हसीन वादियां दिल को रोमांचित करती हैं.

गुमला जिला में स्थित खूंटी व सिमडेगा मार्ग पर बसिया प्रखंड है. बसिया से पांच किमी दूरी पर बाघमुंडा जलप्रपात है. इसकी खासियत ये है कि यहां तीन दिशाओं से नदी की जलधारा गिरती है. यहां के मनमोहक दृश्य के कारण सालों भर सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है. बाघमुंडा नामकरण पीछे की कहानी ये है कि इस नदी के बीच में अक्सर बाघ नजर आता था. जिस वजह से इसका नाम बाघमुंडा पड़ा.

संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version