मुख्य बातें : गुमला शहर के करमटोली में पुराना बुढ़वा महादेव मंदिर है. : पुराने खपड़ानुमा मंदिर को तोड़कर नया मंदिर बनाया गया. : पीपल पेड़ की खोह में शिविलंग है, जो दो सौ वर्ष पुराना है. 27 गुम 32 में प्राचीन शिविलंग 27 गुम 33 में पीपल पेड़ की खोह में शिविलंग है, जो दो सौ वर्ष पुराना है जगरनाथ पासवान, गुमला गुमला शहर के करमटोली मुहल्ला में 100 साल से अधिक पुराना बुढ़वा महादेव मंदिर है. यह मंदिर जितना पुराना है. इसका इतिहास भी उतना ही अनोखा है. 100 साल से अधिक पहले पीपल पेड़ की खोह में शिवलिंग निकला था. यह शिवलिंग आज बड़ा हो गया है. जब पेड़ की खोह में शिवलिंग निकला था तो लोगों ने श्रद्धा से श्रमदान कर खपड़ा का छोटा सा मंदिर बनाया था. लेकिन मंदिर के प्रति लोगों की बढ़ती श्रद्धा व विश्वास को देखते हुए स्थानीय लोगों ने पुरानी खपड़ानुमा मंदिर को तोड़कर पक्का मंदिर का निर्माण किया है. यहां दिल से मांगी मुराद पूरी होती है. जिसकी भी इच्छी पूरी होती है. वह जरूर मंदिर में आकर पूजा पाठ नियमित करता है. बैगा को सपने में आये थे भगवान करमटोली स्थित बुढ़वा महादेव मंदिर आज शिव भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है. हर सावन माह, शिवरात्रि व अन्य उत्सवों पर यहां शिव भक्तों का तांता लगा रहता है. मंदिर के बारे में कहा जाता है की 100 वर्ष पूर्व करमटोली गांव के एक बैगा पहान को रात्रि में सपना आया था कि पीपल के पेड़ के खोह में एक शिवलिंग है. वहां पूजन शुरू करो. प्रात: काल में जब वह बैगा वहां पहुंचा तो सही में शिवलिंग को पाया. इसकी जानकारी उसने ग्रामवासियों सहित गुमला शहर के मुरारी प्रसाद केसरी, करमटोली के मुखिया बालकराम भगत, सोहर महतो, मधुमंगल बड़ाइक सहित कई लोगों को दी. सूचना पाकर मुरारी केसरी (अब स्वर्गीय) ने अपने मित्र तेजपाल साबू व गौरीशंकर साव को लेकर उक्त स्थान पर गये और सूचना को सही पाया. तब उन्होंने करमटोली के मुखिया को साथ लेकर और भी लोगों को एकित्रत किया. लोगों के साथ बैठक कर खपड़ानुमा मंदिर का निर्माण कर पूजा पाठ शुरू करायी. जानकारी के मुताबिक स्वर्गीय मुरारी केसरी ने ही अपने खर्च से मंदिर, आने जाने के लिए रास्ता व मंदिर के पास कुआं का निर्माण करवाया था. मंदिर के लिए एक एकड़ 35 डिसमिल जमीन भी दान कर दी. अब गांव के लोगों द्वारा मंदिर की व्यवस्था अपने हाथ में ले लिया है. वर्तमान में मंदिर की एक कमेटी बनाकर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है. बारिश की संभावना, प्रखंडों के शिवालयों में उमड़ेंगे श्रद्धालू 27 गुम 34 में सिसई : कपिलनाथ शिव मंदिर 27 गुम 35 में भरनो : कमलपुर मंदिर 27 गुम 36 में रायडीह : महा सदाशिव मंदिर 27 गुम 37 में बसिया : महादेव कोना मंदिर सिसई : कपिलनाथ शिव मंदिर प्राचीन है संवत 1739 में राम साह व रघुनाथ साह द्वारा निर्मित नगर नवरत्नगढ़ के ऐतिहासिक प्राचीन कपिलनाथ शिव मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं में अनन्त आस्था है. वैसे तो इस मंदिर में सालों भर श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते हैं. पर सावन माह में श्रद्धालुओं की कतार लगी रहती है. वहीं पोटरो स्थिति बूढ़ा महादेव व मुरगू गांव स्थिति चिरैयाधाम में भी श्रद्धालुओं का अटूट आस्था है. यहां शिव पर जलाभिषेक के लिए सावन में श्रद्धालु पहुंचते हैं. भरनो : कमलपुर मंदिर में उमड़ेंगे श्रद्धालू भरनो प्रखंड के कमलपुर गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर से श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है. मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने किया है. यहां आकर पूजा अर्चना करने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. प्रखंड के लोग पूरे वर्ष यहां पूजा अर्चना करने आते हैं. परंतु, सावन के महीने में जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों का तांता लगा रहता है. तीसरी सोमवारी को लेकर यहां विधि व्यवस्था अच्छी है. रायडीह : महा सदाशिव मंदिर से आस्था है रायडीह प्रखंड के मरदा गांव स्थित महा सदाशिव मंदिर में आज हजारों श्रद्धालु पूजा पाठ करेंगे. यह मंदिर पूरे जिले में आस्था का एक प्रतीक बना हुआ है. यहां शिव की 52 भुजा धारी प्रतिमा है जो काफी मन मोहक है. साथ ही पूरा मंदिर परिसर रंग बिरंगे फूलों से पटा हुआ है. यह दोनों शिवालय सुरक्षा के दृष्टिकोण से काफी सुरक्षित है. तीसरी सोमवारी को लेकर समिति के लोगों ने पूरी तैयारी की है. बसिया : महादेव कोना में सैंकड़ों शिवलिंग बसिया प्रखंड के प्रसिद्ध महादेव कोना शिव मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है. बुजुर्गों की मानें, तो शिवलिंग का निर्माण विश्वकर्मा भगवान द्वारा निर्मित है. यहां मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों में बनाये गये आकृति देखा जा सकता है. यहां सैंकड़ों शिवलिंग है. मंदिर चारों ओर पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है, जो काफी रमणीय है. यह मंदिर रांची सिमडेगा सड़क से एक किमी दूरी पर है. यह मंदिर आस्था का केंद्र है.
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