Jamshedpur News : ठंडी ने दस्तक दे दी है, सुबह के समय अत्यधिक कुहासा छाने लगा है

Jamshedpur News : ठंडी ने दस्तक दे दी है और सुबह के समय अत्यधिक कुहासा छाने लगा है, जिससे सर्दी के मौसम की आधिकारिक शुरुआत मानी जा सकती है.

By Dashmat Soren | October 20, 2024 8:24 PM
an image

Jamshedpur News : ठंड का मौसम साल के उन कुछ महीनों में से एक है जब प्रकृति में विशेष परिवर्तन देखने को मिलते हैं. ठंड की शुरुआत अक्सर अक्टूबर के अंत से होती है और यह फरवरी तक जारी रहती है. इस मौसम में तापमान में गिरावट, कुहासा, ठंडी हवाएं और दिन की लंबाई में कमी मुख्य विशेषताएं होती हैं. ठंड के मौसम की शुरुआत के संकेत कई रूपों में दिखाई देते हैं. अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में, जैसे ही दिन छोटे होने लगते हैं, तापमान में गिरावट महसूस होती है. हवा की ठंडक और वातावरण में नमी बढ़ने से कुहासा गिरना शुरू हो जाता है. इस वर्ष भी ठंडी ने दस्तक दे दी है और सुबह के समय अत्यधिक कुहासा छाने लगा है, जिससे सर्दी के मौसम की आधिकारिक शुरुआत मानी जा सकती है. रविवार को सुंदरनगर, परसुडीह, कुदादा, करनडीह आदि क्षेत्रों में सुबह में घना कुहासा देखने को मिला. कुहासा काफी घना होने की वजह से सुबह में रास्ता तक नहीं दिख रहा था. हालांकि सुबह करीब 7:30 बजे तक कुहासा छंटगया. सुबह में घना कुहासा होने की वजह से ठंड का एहसास हो रहा था.

कुहासा और उसका प्रभाव

कुहासा ठंडी के मौसम की एक महत्वपूर्ण विशेषता है. जब वायुमंडल में नमी होती है और तापमान बहुत कम हो जाता है, तो यह नमी छोटे-छोटे पानी के कणों में बदलकर वायुमंडल में तैरने लगती है. इसका परिणाम होता है घना कुहासा, जो सुबह के समय अधिक देखने को मिलता है. इस घने कुहासे का प्रमुख प्रभाव दृश्यता पर पड़ताहै. वाहनों का आवागमन धीमा हो जाता है. यातायात को नियंत्रित करने के लिए वाहन चालकों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़तीहै.

स्वास्थ्य पर प्रभाव

ठंड का मौसम स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है. सर्दी, खांसी, जुकाम और फ्लू जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं. ठंडी हवाओं और कुहासे के कारण अस्थमा और सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों को भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह मौसम विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. इस मौसम में गर्म कपड़े पहनना, खानपान में ध्यान देना और ठंडे पेय पदार्थों से परहेज करना जरूरी होता है.

कृषि और पर्यावरण पर प्रभाव

ठंडी के मौसम का कृषि पर भी व्यापक प्रभाव पड़ताहै. यह मौसम रबी की फसलों के लिए अनुकूल माना जाता है. गेहूं, सरसों, जौ और मटर जैसी फसलें इस मौसम में बोई जाती हैं और इनके लिए ठंडा वातावरण आवश्यक होता है. हालांकि, अत्यधिक कुहासा और ठंडी हवाएं कभी-कभी फसलों के विकास को बाधित कर सकती हैं. पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, ठंडी के मौसम में पेड़ों के पत्ते झड़ने लगते हैं और कई पौधे अपनी वृद्धि धीमी कर देते हैं. पक्षियों का प्रवास भी इसी मौसम में होता है, जब वे ठंडे क्षेत्रों से गर्म स्थानों की ओर पलायन करते हैं.

समाज और त्योहार

ठंडी का मौसम त्योहारों का मौसम भी होता है. दीवाली, क्रिसमस, लोहड़ी और मकर संक्रांति जैसे प्रमुख त्योहार इसी समय के आसपास आते हैं. इन त्योहारों का आनंद ठंडी हवाओं और कुहासे के बीच लिया जाता है. लोग गर्म कपड़े पहनते हैं, अलाव जलाते हैं और सर्दियों के खास व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

Jharkhand News : Read latest Jharkhand news in hindi, Jharkhand Breaking News (झारखंड न्यूज़), Jharkhand News Paper, Jharkhand Samachar, Jharkhand Political news, Jharkhand local news, Crime news and watch photos, videos stories only at Prabhat Khabar.

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version