चांडिल बांधडीह निवासी ढाढू सिंह के समर्थन में आया दलमा बुरू सेंदरा दिसुआ समिति, कहा-बदले की भावना से वन कर्मियों ने किया है कार्रवाई

आसनबनी गांव के दलमा बुरू दिसुआ सेंदरा समिति की बैठक अध्यक्ष फकीर सोरेन की अध्यक्षता में आयोजित किया गया. बैठक में दलमा वन क्षेत्र के वन कर्मियों के द्वारा नीमडीह प्रखंड के चेलियामा पंचायत के बांधडीह निवासी ढाढू सिंह को जंगली सूअर शिकार करने के मामले में जेल भेजने के मुद्दे पर विचार विमर्श किया गया.

By Dashmat Soren | July 4, 2024 9:05 PM
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जमशेदपुर: पारडीह कालीमंदिर के समीप आसनबनी गांव के दलमा बुरू दिसुआ सेंदरा समिति की बैठक अध्यक्ष फकीर सोरेन की अध्यक्षता में आयोजित किया गया. बैठक में दलमा वन क्षेत्र के वन कर्मियों के द्वारा नीमडीह प्रखंड के चेलियामा पंचायत के बांधडीह निवासी ढाढू सिंह को जंगली सूअर शिकार करने के मामले में जेल भेजने के मुद्दे पर विचार विमर्श किया गया. बैठक में फकीर सोरेन ने कहा कि वन विभाग के लोगों ने बदले की भावना से ढाढू सिंह को जेल भेजने का काम किया है. ढाढू सिंह को रंगे हाथ नहीं पकड़ा गया है. वन कर्मियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वन विभाग ग्रामीणों की मदद से ही वन पर्यावरण की रखवाली करता है. लेकिन इस तरह बेवजह ग्रामीणों को ही तंग किया जायेगा तो उनका सहयोग व समर्थन नहीं मिल सकेगा. वन विभाग के फॉरेस्ट गार्ड व रेंजर आदि अपने क्षेत्र में कितना सक्रिय रहते हैं यह किसी से छुपी हुई नहीं है. उन्होंने कहा कि दलमा वन क्षेत्र वन कर्मियों की मदद से घने जंगल के अंदर शराब आदि बनाने काम हो रहा है. इससे वन पर्यावरण को क्षति पहुंच रहा है. विभाग को इन बिंदुओं पर भी जांच करना चाहिए और दोषी वन कर्मियों पर कार्रवाई करना चाहिए. बांधडीह निवासी ढाढू सिंह को वन विभाग रिहा कराने का काम करे, अन्यथा आने वाले दिनों में ग्रामीणों की ओर से वन विभाग को किसी तरह के कार्य में सहयोग नहीं किया जायेगा. बैठक में दलमा से सटे एक दर्जन से भी ज्यादा गांव के ग्रामीण मौजूद थे.

ग्रामीणों ने अधिकारियों की पोल खोल की रणनीति तैयार की
सेंदरा समिति और दलमा पहाड़ से सटे गांव के लोग अपने हक और अधिकार के लिए संगठित हो गए हैं. ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ आंदोलन की योजना बना ली है. उनका आरोप है कि वन विभाग अपनी गलतियों और भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए ग्रामीणों को फंसाने का काम कर रहा है. इस कारण अब ग्रामीणों ने ठान लिया है कि वे विभाग के पदाधिकारियों की पोल खोलेंगे. ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग के अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और विभिन्न प्रकार के अवैध कार्यों में लिप्त हैं. ग्रामीण इन सभी गलत कार्यों और भ्रष्टाचार की जानकारी वरीय अधिकारियों को देंगे और दोषी पदाधिकारियों को हटाने की मांग करेंगे. इसके लिए ग्रामीण एक व्यापक आंदोलन की योजना बना रहे हैं, जिसमें वे वन विभाग के खिलाफ अपने संघर्ष को तेज करेंगे. ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग के अधिकारी जंगलों की अवैध कटाई, वन्य जीवों का शिकार और सरकारी धन के दुरुपयोग में शामिल हैं. इसके अलावा, विभाग के अधिकारी ग्रामीणों को अनावश्यक रूप से परेशान करते हैं और उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देते हैं.

ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
वन विभाग के कार्यालय का घेराव कर रहे लोगों ने ज्ञापन सौंपकर वनकर्मियों और अधिकारियों की संपत्ति की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. साथ ही जगली हाथी द्वारा किसानों की फसल बर्बाद करने पर एक लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा, जान जाने की स्थिति में मृतक के परिजनों को दस लाख रुपये और एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी, वन क्षेत्र में ग्रामीणों के जानवरों को चरने का अधिकार देने, वन क्षेत्र के अंदर के सरना स्थल, मंदिर, श्मशान, कब्रिस्तान आदि सार्वजनिक स्थल पर वन विभाग द्वारा छेडछाड़ बंद करने, माकुलाकोचा हिरण पार्क चेक नाका में दोपहिया और चारपहिया वाहन पर टैक्स वसूली बंद करने की मांग की. साथ ही कहा कि जंगल में सड़क मरम्मत कार्य बंद किया जाये, क्योंकि यहां पेड़ों को नुकसान होता है. वन विभाग के अधिकारियों ने उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया, जिसके बाद सभी लोग वापस लौट गये.

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