समाज को सशक्तिकरण का उठाया बीड़ा, सुदूर गांव देहातों में घूम-घूमकर आदिवासी समाज के लोगों को कर रहे जागरूक

ग्रामीणों को प्रखंड स्तर पर ग्रामसभा सशक्तिकरण, प्राथमिकता चयन, पंचायत कार्यकारिणी तथा अभिलेख संधारण के संबंध में विशेष जानकारी दिया गया.

By Dashmat Soren | June 10, 2024 9:22 PM
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जमशेदपुर: नेशनल आदिवासी रिवाईबल एसोसिएशन, सिंगी एंड सिंगी सोसाइटी, मिलन चैरिटेबल ट्रस्ट एवं आदिवासी हो समाज युवा महासभा की ओर से सोमवार को सामाजिक जागरूकता अभियान शुभारंभ किया. अभियान का शुभारंभ पश्चिम सिंहभूम जिले के आनंदपुर प्रखंड क्षेत्र से किया गया. इसके तहत आनंदपुर प्रखंड के झारबेड़ा,बिंजू, रूंधिकोचा, हारता,रोबोकेरा, बेड़ाकुकेंदुरा समेत अन्य पंचायतों में नुक्कड़ सभा किया गया. इस दौरान ग्रामीणों को प्रखंड स्तर पर ग्रामसभा सशक्तिकरण, प्राथमिकता चयन, पंचायत कार्यकारिणी तथा अभिलेख संधारण के संबंध में विशेष जानकारी दिया गया. इसके साथ ही विधिक जागरूकता को लेकर उन्हें हैंडबिल भी वितरण किया गया. नेशनल आदिवासी रिवाईबल एसोशिएसन और आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा के प्रतिनिधि विजय हेंब्रम के नेतृत्व में विभिन्न गांवों में ग्रामीणों को इकट्ठा किया जा रहा है और सामाजिक भावना से जोड़ा जा रहा है.
जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताया
आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा के राष्ट्रीय महासचिव गब्बर सिंह हेंब्रम ने भाषा-संस्कृति के विकास के अलावा सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रति ग्रामीणों का ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने जगह-जगह पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि स्वयं की लाभ के लिए ग्रामसभा, पंचायत और प्रखंडों को आदर्श बनाएं. एक-एक कार्य पर निष्ठापूर्वक समय दें अन्यथा हर काम दूसरों से कराने के चक्कर में बिचौलिये हावी रहेंगे. जिससे सरकारी योजनाओं पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगी. ग्रामसभा, पंचायत और प्रखंडों का विधिवत रूप से चक्कर लगायें. श्री हेंब्रम ने सामाजिक स्तर पर स्थानीयता की विचारों से ग्रामीणों को हर मामले के दायित्व से अवगत कराया.
सुदूर गांव में जागरूकता का अभाव
गब्बर सिंह हेंब्रम ने कहा कि सुदूर गांव देहात में शैक्षणिक स्थिति ठीक नहीं है. गांव में पढ़ाई-लिखाई का कोई माहौल नहीं है. ऐसे में सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक व राजनीतिक जागरूकता में कमी होना लाजिमी है. कई लोग समझाने के बावजूद भी समझने का नाम नहीं लेते हैं. वे अपने ही अंदाज में जीवन को जीने पर विश्वास करते हैं. ग्रामीणों को समझाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
अभियान में इनका रहा योगदान
जागरूकता अभियान में मुंडा उमेश चंद्र सोय, डाकुवा सुखदेव तिर्की, आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा के प्रतिनिधि करन होनहागा, विजय हेंब्रम, संजय हेंब्रम, नीतिमा हेंब्रम, नमसी गुंदुआ, घनश्याम सोय, जिवानी सपेरा कंडुलना, मिकाएल लुगुन, सेलाय गागराई, बोवास गुड़िया, निवास डांग, हरमोन टोपनो, मतियास जोजो, रघुनाथ नाग, आनंद कंडुलना, सोमा कंडुलना, सुशील समसेन टोपनो, चतुर नाग, मुकेश हरिजन, संतोष प्रधान, संतियल लुगुन, अनिल तोरकोड, मुजेश बारजो, गोविंद सिंह, लखन हेंब्रम, सोनी बानी गोंदुआ, रोहित हाईबुरू, चांदमनी हेंब्रम, घनश्याम बांकिरा, कृष्णा हाईबुरू समेत अन्य ने सराहनीय योगदान दिया.

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