Jamshedpur News : आपातकाल लगाकर संविधान की हत्या करने वाली कांग्रेस को संविधान की नैतिक दुहाई देने का अधिकार नहीं : रघुवर दास
Jamshedpur News : पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि आपातकाल लगाकर संविधान की हत्या करने वाली कांग्रेस पार्टी-नेताओं को संविधान की नैतिक दुहाई देने का कोई अधिकार नहीं है.
By RAJESH SINGH | June 26, 2025 1:21 AM
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पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि आपातकाल लगाकर संविधान की हत्या करने वाली कांग्रेस पार्टी-नेताओं को संविधान की नैतिक दुहाई देने का कोई अधिकार नहीं है. कांग्रेस पार्टी की तत्कालीन प्रमुख और देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बिना कैबिनेट की बैठक बुलाये आपात काल लगाने के फैसले पर राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद से हस्ताक्षर करा ली थीं. कांग्रेस ने 60 वर्षों के शासन काल में 90 गैर कांग्रेसी सरकार को गिराने का काम किया है. रघुवर दास ने केंद्र सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि स्कूली शिक्षा में आपातकाल के अध्याय को भी शामिल किया जाये, ताकि आनेवाली पीढ़ी संविधान के साथ मजबूती से खड़ी रहे. आपातकाल के 50 साल पूरा होने के अवसर पर साकची स्थित भाजपा कार्यालय में बुधवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रघुवर दास ने कहा कि आपातकाल के बाद देश की जनता ने कांग्रेस को करारा जवाब दिया और उसे सत्ता से उखाड़ फेंका. रघुवर दास ने कहा कि वे 17-18 साल की आयु में अपने कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में शामिल हो गये थे. उन्होंने राज्य में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले संपूर्ण क्रांति आंदोलन में भाग लिया. जमशेदपुर में जेपी के दो दौरों में उनका सानिध्य प्राप्त हुआ. संवाददाता सम्मेलन में भाजपा नेता अभय सिंह, सुधांशु ओझा, जटाशंकर पांडेय, प्रेम झा, बबुआ सिंह, संजीव सिन्हा समेत अन्य मौजूद थे. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे रघुवर दास ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में आपातकाल काले अध्याय के रूप में हमेशा याद किया जायेगा. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने विपरित परिस्थितियों में सिर्फ अपनी कुर्सी बचाये रखने के लिए देश को परेशानियों में धकेल दिया था. बिना किसी आदेश के आरएसएस, आनंद मार्ग, जमात ए इस्लामी समेत कई समाजसेवी संगठनों के प्रमुख सदस्यों व देश की राजनीति में विपक्ष की आवाज बुलंद करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मोरारजी देसाई व लोकनायक जयप्रकाश नारायण समेत कई नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया था. नेताओं को जेल में डाल कर उनके मौलिक अधिकारियों को छीनने का काम किया गया था. आपातकाल की घोषणा के साथ ही कई अखबारों के कार्यालयों की बिजली काट दी गयी थी. कई संपादक-पत्रकारों को जेल भेज कर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का गला घोंटने से भी परहेज नहीं किया गया था. ऐसा कर कांग्रेस ने खुद को अंग्रेजी हुकूमत से भी क्रूर बताने का प्रयास किया. प्रेस को झुकाया गया, उस पर सेंसरशिप लगायी, जो भी आवाज आपातकाल के खिलाफ उठी, सब को कुचल दिया गया. बावजूद इसके भाजपा की पंच निष्ठा में एक निष्ठा मजबूत लोकतंत्र भी है. आज लोकतंत्र की जड़ें इतनी मजबूत है कि आपातकाल जैसी परिस्थिति फिर से पैदा करने का कोई दल साहस नहीं करेगा. 12 जून को दो बड़ी घटनाएं हुई, पहली कांग्रेस छात्र संघ का चुनाव गुजरात में बुरी तरीके हारी. दूसरी घटना इलाहाबाद कोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला दिया.
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भालुबासा में थे, जब एक साइकिल वाले राहगीर ने कहा- भाग जाओ इमरजेंसी लग गयी है
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब देश पर आपातकाल थोपा तो उस वक्त वे अपने साथियों के साथ भालुबासा (किशोर संघ) में एक बांस-पुआल से एक कार्यालय छात्र संघ की राजनीति के लिए बना रहे थे. उसी वक्त एक राहगीर जो साइकिल पर थे, उन्होंने देखा और कहा कि जल्दी यहां से भागो… इमरजेंसी लग गयी है. किसी भी वक्त पुलिस आकर गिरफ्तार कर लेगी. वे वहां थोड़ी देर के लिए छुप गये, आधे घंटे में ही पुलिस वहां पहुंची. कार्यालय के लिए लगाये बांस-पुआल को उखाड़ अपने साथ लेती चली गयी.
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