Damini Sabar: गुलगुलिया बस्ती में जन्म, ट्रेन में मांगी भीख, फिर भी नहीं मानी हार, अब आदिम जनजाति बिटिया के सपनों को लगे पंख

Damini Sabar Dream: आदिम जनजाति सबर समुदाय की बिटिया का गुलगुलिया बस्ती में जन्म हुआ. ट्रेन में झाड़ू लगा कर और भीख मांगकर जीवनयापन की. इसके बावजूद पढ़ाई जारी रखी. मैट्रिक के बाद इंटर फर्स्ट क्लास से पास की. अब नर्स बनने का सपना साकार होनेवाला है. पूर्वी सिंहभूम डीसी की पहल पर उसका एडमिशन नर्सिंग कॉलेज में हो गया है. उसकी तीन साल की फीस माफ कर दी गयी है.

By Guru Swarup Mishra | June 22, 2025 7:23 PM
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Damini Sabar Dream: जमशेदपुर-आदिम जनजाति सबर समुदाय की पहली इंटर पास छात्रा दामिनी सबर का नर्स बनने का सपना अब हकीकत बनने जा रहा है. उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी के निर्देश पर दामिनी का नामांकन पोटका प्रखंड स्थित गितिलता के रंभा नर्सिंग कॉलेज में जीएनएम (जनरल नर्सिंग एंड मिड वाइफरी) कोर्स में कराया जाएगा. जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) मनोज कुमार स्वयं दामिनी को लेकर कॉलेज पहुंचे और उसका एडमिशन फॉर्म भरवाया.

तीन साल की फीस माफ

कॉलेज के सचिव गौरव बचन और छात्रा की मदद कर रहे समाजसेवी विनीत रुंगटा भी मौके पर मौजूद थे. प्रारंभ में कॉलेज प्रबंधन ने केवल आधी फीस माफ करने की बात कही थी, लेकिन जब दामिनी की पारिवारिक पृष्ठभूमि की जानकारी हुई, तो कॉलेज सचिव ने चेयरमैन से बात कर पूरे तीन वर्षीय कोर्स की 3.5 लाख रुपये की फीस माफ करने का निर्णय लिया. वहीं, विनीत रुंगटा ने छात्रा के हॉस्टल खर्च की जिम्मेदारी लेने का वादा किया है. अब दामिनी अगस्त से कॉलेज में पढ़ाई शुरू करेगी.

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बचपन में करती थी झाड़ू-पोंछा और ट्रेन में भिक्षाटन


चाकुलिया नगर पंचायत कार्यालय के सामने स्थित गुलगुलिया बस्ती में रहने वाली दामिनी का बचपन संघर्षों से भरा रहा. वह अन्य बच्चों के साथ ट्रेन में झाड़ू लगाने और भिक्षाटन कर जीवनयापन करती थी. बावजूद इसके उसकी पढ़ाई के प्रति रुचि बनी रही. वर्ष 2023 में उसने मैट्रिक और 2025 में इंटर (कला संकाय) परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की, लेकिन आगे की पढ़ाई उसके लिए चुनौती बन गयी थी. न जाति प्रमाणपत्र था, न आर्थिक साधन.

डीसी ने लिया संज्ञान, डीईओ और सिविल सर्जन ने की पहल


दामिनी की स्थिति की जानकारी मिलने पर उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने डीईओ मनोज कुमार को निर्देशित किया कि वे उसके नामांकन की व्यवस्था करें. डीईओ ने सिविल सर्जन डॉ साहिर पाल से संपर्क किया. डॉ पाल ने रंभा कॉलेज से बात की और छात्रा के नामांकन की पहल की. उपायुक्त की व्यक्तिगत रुचि के कारण कॉलेज प्रबंधन ने तत्परता दिखाते हुए नामांकन की स्वीकृति दी.

दामिनी का जल्द होगा सपना साकार


अब दामिनी न केवल नर्स बनने की दिशा में अग्रसर है, बल्कि वह समाज के लिए प्रेरणास्रोत भी बन चुकी है. तीन वर्षों के बाद जब वह नर्स बनेगी, तो अपनी मेहनत, इच्छाशक्ति और प्रशासनिक सहयोग की मिसाल पेश करेगी.

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