जमीन अधिग्रहण की पेंच में फंसी बाइपास योजना
वर्ष 2015-16 में चांडिल के घोड़ानेगी स्थित एनएच-33 से नीमडीह के पितकी तक एनएच-32 बाइपास सड़क की स्वीकृति दी गयी. हालांकि, छह-सात वर्ष बाद भी सड़क अधूरी है. बाइपास सड़क के लिए करीब नौ मौजा से जमीन अधिग्रहण होना था. पांच मौजा में जमीन की उचित कीमत तय नहीं होने से बाधा आयी है. करीब 28 किमी लंबी बाइपास सड़क में आधा का निर्माण किया गया है, जबकि आधा कार्य अधूरा पड़ा है. रैयतदार अरूप महतो ने कहा कि बाइपास में हमारी जमीन जा रही है. जमीन की मुआवजा राशि वितरण में समानता नहीं है. चांडिल बाजार से सटे लेंगडीह गांव और चांडिल मौजा की मुआवजा दर में फर्क है. चांडिल मौजा में प्रति डिसमिल 88,000 रुपये मुआवजा दर तय है, जबकि लेंगडीह में प्रशासन 16,696 रुपये ही दे रहा है. इससे पांच मौजा के लोग अपनी जमीन नहीं देना चाह रहे हैं. इसे लेकर समस्या का समाधान नहीं निकल रहा है.
गांवों अब भी चल रहा भूमि अधिग्रहण
इन गांवों में भूमि अधिग्रहण बाकी : चांडिल के लेंगडीह, घोड़ानेगी, राउताड़ा, नीमडीह के बुरुडुंगरी व उगडीह
इन गांवों में भूमि अधिग्रहण पूरा : चांडिल के चांडिल, रुचाव, गांगूडीह, नीमडीह के पितकी
त्रिपक्षीय वार्ता में सहमति बनी, पर मुकरा एनएचएआइ
लेंगडीह के उमापद महतो ने बताया कि मुआवजा को लेकर अनुमंडल में कैंप का आयोजन किया गया था. समान दर पर मुआवजा देने को लेकर त्रिपक्षीय वार्ता हुई. तय हुआ, परंतु तीन वर्ष बाद भी मुआवजा नहीं दिया गया है. बैठक में हुए निर्णय से एनएचएआइ खुद मुकर गया.
क्या कहते हैं अधिकारी व अन्य
एनएच-32 पर बाइपास सड़क बनने से चांडिल में जाम की स्थिति नहीं रहेगी. रैयतों को जनहित व क्षेत्र के विकास में प्रशासन का सहयोग करना चाहिए. बाइपास सड़क बनने से रैयतों को लाभ होगा.
अरवा राजकमल, उपायुक्त
बाइपास सड़क बने, यह सभी चाहते हैं. चांडिल क्षेत्र के लोगों की बाइपास निर्माण की मांग पुरानी है. लेकिन रैयतों को अपनी जमीन का भी उचित मुआवजा मिलना जरूरी है.
धीरेन महतो, रैयत, रावतारा चांडिल
चांडिल बाजार में जाम से लेाग परेशान हैं. प्रेशर हॉर्न से परेशानी होती है. प्रशासन जल्द निर्णय लेकर पांच मौजा के रैयतदारों को जल्द उचित मुआवजा भुगतान करे. बाइपास सड़क निर्माण जल्द जरूरी है.
सुरेश खेतान, प्रबुद्ध नागरिक चांडिल निवासी