जिउतिया व्रत 6 व 7 अक्तूबर को, पूजन सामग्री की कीमत और पूजन के क्या हैं नियम, यहां पढ़ें

ज्योतिषाचार्य राजेश पाठक ने कहा कि शास्त्र कहता है कि इस बार सात अक्तूबर को जिउतिया व्रत है. वे बताते हैं कि छह अक्तूबर की सुबह 9 बजकर 34 मिनट तक सप्तमी तिथि है. इसके बाद अष्टमी शुरू हो रही है. इस तरह अष्टमी उदया तिथि में प्राप्त नहीं हो रही. उदया तिथि में अष्टमी मिलने से ही व्रत करना चाहिए.

By Prabhat Khabar News Desk | October 4, 2023 3:34 PM
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Jitiya Kab Hai: तीन दिनों तक चलने वाला संतान कामना का पर्व जीवित्पुत्रिका यानी जिउतिया को लेकर असमंजस की स्थिति है. मिथिला पंचांग में छह अक्तूबर को व्रत है, जबकि भोजपुरी क्षेत्र की महिलाएं सात अक्तूबर को व्रत करेंगी. आचार्य एके मिश्र का कहना है कि व्रत का प्रथम संयम नहाय-खाय गुरुवार पांच अक्तूबर को है. पांच अक्तूबर की मध्य रात्रि के बाद और गुरुवार, छह अक्तूबर को सूर्योदय से पूर्व व्रत के निमित्त ओठगन (सरगही) किया जा सकता है. वैसे ओठगन छह अक्तूबर के तड़के 4:10 से सुबह 5:30 बजे के बीच कर लेना चाहिए. शुक्रवार, छह अक्तूबर को जिउतिया व्रत और पूजन है. पूजन के लिए शुभ मुहूर्त दिवा 11:10 से दोपहर 1:01 बजे तक और दोपहर 3:59 से संध्या 5:26 बजे तक है. व्रत का पारण शनिवार, सात अक्तूबर को होगा. वाराणसी और क्षेत्रीय पंचांगों के अनुसार सुबह 10:31 बजे के बाद, जबकि राष्ट्रीय पंचांग के अनुसार सुबह 8:09 बजे के बाद पारण किया जा सकता है.

छह नहीं सात को है जिउतिया

ज्योतिषाचार्य राजेश पाठक ने कहा कि शास्त्र कहता है कि इस बार सात अक्तूबर को जिउतिया व्रत है. वे बताते हैं कि छह अक्तूबर की सुबह 9:34 बजे तक सप्तमी तिथि है. इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो रही है. इस तरह अष्टमी उदया तिथि में प्राप्त नहीं हो रही. जबकि उदया तिथि में अष्टमी मिलने से ही व्रत करना चाहिए. शास्त्र कहता है कि सप्तमी रहित अष्टमी तिथि में व्रत करना चाहिए. वे बताते हैं कि सात अक्तूबर को सुबह 10:32 बजे तक अष्टमी तिथि है. जो उदया तिथि में मिल रहा है. इसलिए जिउतिया व्रत सात अक्तूबर को इस दौरान कर लेना चाहिए. ज्योतिषाचार्य पाठक यह भी बताते हैं कि सप्तमी में सूर्योदय के बाद प्रदोष पड़ रहा है. यानी चंद्रोदय में अष्टमी तिथि हो रही है. जो शास्त्र के अनुसार ठीक नहीं है. वे बताते हैं कि व्रत से एक दिन पहले छह अक्तूबर को नहाय खाय है. और आठ अक्तूबर को सूर्योदय के बाद किसी भी समय पारण किया जा सकता है.

बाजार में जिउतिया की सामग्री की भरमार

जिउतिया को लेकर बाजार में पूजन सामग्री की बिक्री शुरू हो गयी है. जिउतिया बद्धी 10 से 40 रुपये तक में मिल रहे हैं. कारीगर इसकी बनायी 20 रुपये ले रहे हैं. इसके बाद जिउतिया के हिसाब से पांच-पांच रुपये अतिरिक्त लग रहा है. मोती वाले जिउतिया की कीमत 30 रुपये है.

जिउतिया पूजन सामग्री की कीमत

  • सामान : कीमत (रुपये पाव में)

  • मड़ुआ आटा : 30 रुपए प्रति पाव

  • मटर केराव : 40 रुपए प्रति पाव

  • नोनी साग : 30 रुपए प्रति पाव

  • सतपुटिया : 20 रुपए प्रति पाव

  • खीरा : 15 रुपए प्रति पाव

जिउतिया पूजा के क्या हैं नियम

नहाय खाय को स्नानादि के बाद अपने अराध्य और कुल देवी-देवता को कुलाचार विधि से बनाये भोजन जैसे मडुआ आटे की रोटी, सतपुतिया की सब्जी, नोनी साग, कंदा, खीरा आदि अर्पण करना चाहिए. उसके बाद उसे स्वयं ग्रहण करना चाहिए. मगध और मिथिला के कुछेक क्षेत्रों में मड़ुआ रोटी के साथ छोटी मछली खाने की परंपरा है. ओठगन के निमित्त व्रती उजाला होने से पूर्व कुलाचार विधि से विभिन्न प्रकार के पकवान खीर, दही-चूड़ा, खीरा आदि ग्रहण करती हैं. इसके बाद अच्छी तरह मुंह धोने के बाद निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. व्रत रखते हुए दिन में स्नान के बाद पूजा और कथा वाचन अथवा श्रवण करना चाहिए. कुश से जितवाहन देव बनाकर पूजा जाता है. पूजन स्थान पर जिउतिया रखा जाता है. जिसे संतान में सटा पर उसे व्रती ग्रहण करती हैं. अष्टमी तिथि बीतने के बाद पारण करना चाहिए.

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