ओलचिकी और बांग्ला लिपि में लिखी किताबें
अनंत कुमार सोरेन ने जो 5 किताबें लिखी हैं उनमें मिद आंजले रास्का रास्का, दुलाड़ डालिच, गायान गाछि, ओंतोर ताला सोज और सोहाग उमुल शामिल हैं. ये सभी संताली किताबें ओलचिकी और बांग्ला लिपि में लिखी गयी हैं. इसके अलावा भी उन्होंने 3 पुस्तकें लिखी है, जो कि प्रकाशन के लिए तैयार है.
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पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं अनंत
अनंत मूल रूप से पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले के रानीबांध प्रखंड अंतर्गत जताडुमुर गांव के रहने वाले हैं. वे ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन, जमशेदपुर के सदस्य हैं. उनका झारखंड में जमशेदपुर के अलावा दुमका, पाकुड़, धनबाद से गहरा लगाव रहा है. जब तक वे स्वस्थ थे, तो साहित्यिक और व्यक्तिगत कारणों से जमशेदपुर आना-जाना लगा रहता था. उनके कई रिश्तेदार जमशेदपुर में रहते हैं. बीमारी के बाद से आना-जाना बंद हो गया.
बहन और जीजा ने दिया अनंत का साथ
अनंत कुमार सोरेन ने अपनी किताबों की छपाई के लिए किसी से कोई आर्थिक सहायता नहीं ली. वे किसान परिवार से हैं. उन्होंने घर में रखे धान और सब्जियों की बिक्री से हुई आमदनी से किताबों को छपवाया. बीमारी के कारण वे बिस्तर से उठने में सक्षम नहीं है. इस कारण घर का सारा कामकाज और खेतीबाड़ी उनकी बहन और जीजा करते हैं. वे दोनों ही अनंत के सपनों को आकार देने में मदद करते हैं.
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