कोल्हान के सरकारी, अस्पतालों की बिगड़ती हालत
Jamshedpur News
कोल्हान प्रमंडल के प्रमुख सरकारी अस्पताल इन दिनों इलाज के बजाय मरीजों को रेफर करने के लिए ज्यादा चर्चित हो गए हैं. एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल, घाटशिला अनुमंडल अस्पताल, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (इएसआइसी) अस्पताल और टाटानगर रेलवे अस्पताल सभी में हालात कमोबेश एक जैसे हैं. डॉक्टरों की भारी कमी, आवश्यक जीवनरक्षक सुविधाओं का अभाव और जर्जर एंबुलेंस व्यवस्था ने इन संस्थानों को “रेफरल यूनिट ” बना दिया है. नतीजतन, गंभीर मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा और गरीब व श्रमिक वर्ग निजी अस्पतालों की महंगी सेवाओं के लिए विवश हो रहा है. स्थानीय प्रशासन और प्रबंधन सुधार के दावे तो कर रहे हैं, पर जमीनी हालात जस के तस हैं.
एमजीएम : 45 दिनों में 180 मरीज रेफर
11 स्थायी नर्स ही कर रही काम
टाटानगर रेलवे हॉस्पिटल : न डॉक्टर, न जांच की सुविधा, सिर्फ होता है बुखार का इलाज
कोट
आदित्य चौधरी, सीनियर डीसीएम, दक्षिण पूर्व रेलवे
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इएसआइसी अस्पताल : हर महीने सैकड़ों मरीज अन्य अस्पतालों में भेजे जा रहे
प्रमुख बीमारियों के विशेषज्ञ अस्पताल में उपलब्ध हैं, लेकिन इएनटी भाग की सेवा अभी शुरू नहीं हुई है. इसे जल्द शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है.
घाटशिला अनुमंडल अस्पताल :
खराब एंबुलेंस और बंद ब्लड बैंक से मरीजों को होती है परेशानी
कोट
हम मरीजों के इलाज की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन डॉक्टरों की कमी एक बड़ी चुनौती है. हमने विभाग को डॉक्टर और उपकरण की मांग भेजी है. डॉ. आरएन. सोरेन, चिकित्सा प्रभारी, घाटशिला अनुमंडल अस्पतालडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है