Jamshedpur news. राजस्थान, महाराष्ट्र व बिहार के बाद अब झारखंड में भी पेट्रोलियम डीलर्स को वैट रिटर्न भरने की प्रक्रिया से मिलेगी मुक्ति
पिछले वित्तमंत्री के कार्यकाल में बन गयी थी सहमति, जल्द इस पर फैसले लेने का दबाव बनायेंगे सरकार पर : एसोसिएशन
By PRADIP CHANDRA KESHAV | June 17, 2025 6:13 PM
Jamshedpur news.
राजस्थान, महाराष्ट्र व बिहार के बाद अब झारखंड में भी पेट्रोलियम डीलर्स को वैट रिटर्न भरने की प्रक्रिया से मुक्ति मिलने वाली है. ऐसा होने पर हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपी), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आइओसी) एवं भारत पेट्रोलियम (बीपी) से जुड़े डीलर्स के अलावा निजी तेल कंपनियों से जुड़े 1600 से अधिक डीलर्स को भी परेशानियों से निजात मिलेगी. राज्य सरकार सीधे तेल कंपनियों से ही डीजल, पेट्रोल, नेचुरल गैस एवं एविएशन फ्यूल को लेकर वैट की वसूली कर लेती है. ऐसे में पेट्रोलियम डीलर्स पर रिटर्न दाखिल करने का अनावश्यक दबाव बना हुआ रहता है. रिटर्न दाखिल करने से मुक्त होने का राजस्व प्राप्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा कि पेट्रोलियम डीलर को वैट रिटर्न भरने की प्रक्रिया से मुक्त किया जाना चाहिए. डीलर ऐसा कोई उत्पाद बेचते नहीं हैं, जिसके कारण उन्हें वैट का भुगतान करना है. इसका सारा भुगतान कंपनी करती है, डीलर कुछ नहीं करता है. अशोक सिंह ने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में वित्तमंत्री रहे रामेश्वर उरांव ने इस पर अपनी मौखिक सहमति प्रदान करते हुए प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश भी विभाग को दिया था. एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर से मिलकर उनके समक्ष इस मांग को रखकर इस पर जल्द फैसला लेकर डीलरों को राहत देने की अपील करेगा.
किसी भी स्टेट में ड्यूल प्राइसिंग सही नहीं : एसोसिएशनझारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने दावे के साथ कहा कि झारखंड में डीजल के बल्क कंज्यूमर्स को वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) की दर में दी गयी छूट से राज्य सरकार के खजाने में कोई बड़ा लाभ नहीं हुआ है. एसोसिएशन ने यह कहते हुए विरोध किया था कि ड्यूल प्राइसिंग सही नहीं होती है, यदि इसे इन जनरल-सभी के लिए किया जाता, तो यह अपनी उम्मीद के मुताबिक तय टारगेट को अचीव कर लेते. बल्क वैट में आठ अप्रैल से छूट दी गयी थी, सरकार को अनुमान था कि इससे 50 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा. दो माह बीत जाने के बाद सरकार को इससे मिले लाभ का आकलन कर जानकारी देनी चाहिए. उनका स्पष्ट मानना है कि महज 10 प्रतिशत ही इसका राजस्व मिल पाया होगा.
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