जमशेदपुर, विकास श्रीवास्तव. 900 वर्ष पूर्व विलुप्त हो चुकी इन सीतू रॉक कार्विंग आर्ट टेल्को के चट्टानों पर जीवित होती दिख रही है. इस कला के माध्यम से जंगल व झाड़ियों में विलुप्त पड़े हजारों वर्ष पुराने चट्टानों को एक नयी पहचान मिलेगी. चट्टानों के ऊपर उसी अवस्था में उसके ऊपर कलाकृति उभारने का यह नायाब काम टेल्को सी वन तालाब के बगल के पार्क के चट्टान पर किया जा रहा है. इस कला को उकेरने में पश्चिम बंगाल पुरुलिया के कलाकार चित्तो डे अपने 10 विद्यार्थियों के साथ पिछले दो माह से लगे हैं. चट्टानों को काटकर उसे तराशने का काम वे तेजी से कर रहे हैं. चित्तो डे ने बताया कि चट्टानों पर बन रही यह कलाकृति जंगल व जंतुओं के जीवन चक्र (भोजन चक्र) पर आधारित है. चट्टानों व पत्थरों को देखकर दिमाग में कलाकृति उकेर लेने वाले चित्तो डे ने बताया कि जिस 22 फीट ऊंचे और 60 फीट चौड़े चट्टान पर वे यह काम कर रहे हैं. वह 25 से 30 हजार वर्ष पुराना है. उन्होंने दावा नहीं किया, लेकिन यह जरूर कहा कि चट्टान उससे भी पुरानी हो सकती है. यह काम टाटा स्टील करवा रही है.
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