ऑनलाइन संपर्क किया, संसद भवन प्रबंधन ने किया चयन
जमशेदपुर के मोहन करन बताते हैं कि दस्तकारी हाट समिति की प्रमुख जया जेटली ने इसको लेकर सभी राज्यों के माटी कला आर्टिस्ट से संपर्क किया था. इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने ऑनलाइन संपर्क किया और उन्हें अपनी कला को दिखाने की अनुमति मिल गयी. टेराकोटा तैयार हो जाने के बाद समिति की ओर से कूरियर की व्यवस्था की गयी. इस तरह उनकी कला समिति तक पहुंची, जिसे बाद में संसद भवन प्रबंधन की ओर से चयनित कर लिया. इस तरह उनकी कला संसद भवन की शोभा बनी.
गंगा की मिट्टी से बनी है कलाकृति
सोनारी के मोहन के अनुसार, मुखौटा तैयार करने के बाद उन्होंने उसे चटकदार रंग से सजाया था, जिसे रिजेक्ट कर दिया गया. पकने के बाद मुखौटा पर कुछ करने के लिए नहीं कहा गया था. दोबारा उन्होंने मिट्टी का मुखौटा बनाया. उस पर झारखंड से जुड़े हल्के डिजाइन किये. इसी तरह, टाली पर झारखंड की वन संपदा पेड़-पत्तियां दिखायी. दोनों को पकाया और उस पर कोई रंग नहीं किया. इसे पसंद कर लिया गया. इसमें गंगा की मिट्टी का इस्तेमाल किया. उन्होंने डोकरा आर्ट भी भेजी थी. लेकिन इसे पसंद नहीं किया गया. छत्तीसगढ़ के डोकरा आर्ट को संसद भवन में रखने के लिए चुना गया.
टाटा स्टील के मुंबई दफ्तर में भी है मोहन का डोकरा आर्ट
मोहन करन के डोकरा आर्ट को टाटा स्टील के मुंबई दफ्तर में लगाया गया है. इस पर उन्होंने झारखंड की पहचान तीर-कमान को दर्शाया है. वह सोनारी स्थित स्वयं सहायता समूह ट्राइबल आर्टिजन ग्रुप से जुड़े हैं. जिसके जरिये टेराकोटा व डोकरा कलाकृतियां बनायी जाती हैं.
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