Zoya Rizvi Tells Story of Terror in Iran: चारों ओर सिर्फ धमाकों की आवाजें सुनाई दे रही थी. लगा कि अब हम सब मारे जायेंगे. हमें लग रहा था कि ये हमारी आखिरी रात होने वाली है. ये कहना है, मानगो निवासी सैय्यद खैरुद्दीन रिजवी की पुत्री जोया रिजवी का. जोया ईरान से लौटी हैं. ईरान में पढ़ाई करने गये भारतीय छात्रों को सुरक्षित वापस लाया जा रहा है. 130 छात्रों के ग्रुप में युद्धग्रस्त मुल्क से लौटने वाली जमशेदपुर की छात्रा जोया रिजवी ने ईरान के लोगों में फैली दहशत की कहानी बयां की. जोया ने बताया कि उनके हॉस्टल के पास ही बम गिर रह रहे थे. ईरान में मध्य जून से हालात बिगड़ने लगे, जब इस्राइल ने ईरान के तेहरान शहर पर हवाई हमले शुरू किये.
जमशेदपुर में जन्मी जोया ने दिल्ली में भी की है पढ़ाई
इसके बाद हाल ही में अमेरिका ने भी ईरान के 2 न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले कर दिये. जमशेदपुर में जन्मी और दिल्ली में उच्च शिक्षा हासिल करने वाली जोया वर्ष 2023 में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए ईरान चली गयी थी. वहां उसने शहीद बेहेश्टी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल में दाखिला लिया. जोया ने बताया कि वह उन भारतीय छात्रों में शामिल है, जो ईरान से सुरक्षित लौटे हैं.
13 जून को शाम 3:30 बजे मिसाइलों से शुरू हुए हमले
जोया ने बताया, ‘13 जून को शाम के 3:30 बज रहे थे. मैं उस तारीख को कभी नहीं भूल सकती. हमारे हॉस्टल से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर मिसाइलें दागी गयीं. एक धमाके की आवाज आयी, जैसे कि बिजली गरज रही हो. पहले तो हमें समझ में नहीं आया कि क्या हुआ, लेकिन फिर हमें अहसास हुआ कि ये मिसाइल हमला था. हम हैरान थे. हिल गये थे. समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें. इस्राइली हमलों की वजह से तेहरान में इमारतें थर्राने लगीं. इतना ही नहीं, शॉकवेव से दीवारें कांप रहीं थीं. कई इमारतों की खिड़कियां भी टूट गईं.’
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वीडियो भेजने पर सक्रिय हुआ भारतीय दूतावास
मेडिकल की छात्रा जोया ने बताया कि उन्होंने वहां से सुरक्षित निकलने के लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी. इसके बाद सहेलियों ने मिलकर एक वीडियो बनाया. इसे इंडियन एंबेंसी को भेजकर तुरंत मदद की अपील की. इसके बाद इंडियन एंबेसी हरकत में आयी. वे लगातार संपर्क बनाये हुए थे. पहले तय हुआ कि तुर्कमेनिस्तान होते हुए हमें भारत लाया जायेगा, लेकिन यह संभव नहीं लग रहा था, क्योंकि तेहरान में लगातार हमले बढ़ रहे थे.
हमले के बाद हम सभी अपनी जान बचाने की उम्मीद के साथ भागकर बेसमेंट में छिप रहीं थीं. चारों तरफ बमबारी और विस्फोटों की आवाजें थीं. मिसाइल तो इतनी पार हो रही थी, जितनी आतिशबाजी नहीं देखी. हमें अपनी जान बचाने के लिए बेसमेंट में छिपना पड़ा. हमें लगा कि हम मर जायेंगे. धमाकों की आवाज से हम सो नहीं पा रहे थे. हमें 15 दिनों का खाना स्टॉक करने को कहा गया था. जब भी कोई आवाज आती, तो जान बचाने के लिए हमलोग सीधे बेसमेंट में भागते. सबसे खराब चीज ये थी कि कुछ दिनों बाद हमारे व्हाट्सएप और टेलीग्राम ने काम करना बंद कर दिया. हम अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पा रहे थे. ये बहुत डरावना समय था.
जोया रिजवी, ईरान से लौटी मेडिकल की छात्रा
तेहरान से 100 किलोमीटर दूर कुम शहर ले जाये गये छात्र
छात्रों को पहले 100 किलोमीटर दूर तेहरान से कुम शहर ले जाया गया. वहां कुछ दिन रुके. इसके बाद जब वहां हमले बढ़े, तो सभी को सड़क मार्ग से 900 किलोमीटर दूर मशहद शहर में लाकर सुरक्षित स्थान पर रखा गया. पहले वहां हमले नहीं हो रहे थे, उनके आने के बाद इस्राइल ने मशहद को भी टारगेट करना शुरू दिया. भारत सरकार ने बिना देर किये, उन सभी छात्रों को ‘ऑपरेशन सिंधु लॉन्च’ कर वहीं से विशेष विमान से दिल्ली में सुरक्षित लैंड कराया.
भारत लौटकर खुश है जोया, पढ़ाई को लेकर चिंतित भी
जोया रिजवी ने कहा, ‘हम लोग यहां लौटकर खुश हैं, लेकिन अपनी पढ़ाई को लेकर चिंतित भी हैं. वहां (ईरान) स्थिति खराब है और लोग डरे हुए हैं. सरकार ने हमें हमारे हॉस्टल से, हमारे दरवाजे से सचमुच बाहर निकाला. हमें इसकी उम्मीद भी नहीं थी. उन्होंने हर कदम पर हमारी मदद की. किसी को कोई परेशानी नहीं हुई. हमें बाहर निकालने में केंद्र सरकार ने जो भूमिका निभायी, उसके लिए हम उनके आभारी हैं.’
भारत सरकार ने हर कदम पर हिम्मत दी, सहयोग किया
भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके प्रयासों की वजह से ही वह सुरक्षित घर वापस आ पाये. भारत सरकार के अधिकारियों ने काफी हिम्मत दी और सहयोग भी किया, जिसके कारण सभी भारतीय छात्र वहां से सुरक्षित निकल पाये.
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