प्रतिनिधि, कुंडहित प्रखंड के खाजूरी गांव स्थित बजरंगबली मंदिर परिसर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन, रविवार को वृंदावन से पधारे कथावाचक नितिन देवजी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, भगवान श्रीराम का जन्म, भगवान वामनदेव की कथा तथा भक्त प्रह्लाद के चरित्र का सुंदर और मार्मिक वर्णन किया. महाराज ने कहा कि जब-जब इस पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है, तब-तब भगवान स्वयं अवतार लेकर धर्म की स्थापना करते हैं. उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का अवतार तब हुआ जब पाप और अत्याचार से पृथ्वी त्रस्त थी. दुराचारी कंस का अंत कर श्रीकृष्ण ने धर्म की पुनर्स्थापना की थी. महाराज ने श्रीराम जन्म की कथा सुनाते हुए बताया कि भगवान ने राजा दशरथ के घर राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के रूप में जन्म लिया और धर्म की रक्षा के लिए रावण जैसे अत्याचारी का संहार किया. श्रीराम और श्रीकृष्ण की लीलाएं, भजन और कथाओं के माध्यम से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया. बावन अवतार की कथा में उन्होंने बताया कि दानवीर राजा बलि की परीक्षा लेने स्वयं भगवान वामन रूप में उनके दरबार में आए और तीन पग भूमि मांग ली. उन तीन पगों में ही उन्होंने राजा बलि का सब कुछ ले लिया. यह कथा दान की महिमा को दर्शाती है. महाराज ने कहा कि कलियुग में दान का विशेष महत्व है. भगवान के कीर्तन, भजन, आश्रम निर्माण आदि में दिया गया दान कई गुना फल देता है. जो पुण्य इस धरती पर अर्जित होता है, वह आत्मा के साथ परलोक तक जाता है. भक्त प्रह्लाद के चरित्र वर्णन में महाराज ने कहा प्रह्लाद भगवान बचपन से ही बड़े भक्त थे, लेकिन उनके पिता हिरण्यकश्पय अधर्मी एवं दुराचारी थे. भक्त प्रह्लाद को बचपन से ही गुरु के रूप में नारद जी मिल गये थे. जिस कारण गर्व से ही ज्ञान मिल गया था. महाराज ने कहा कि बच्चों को गर्भ से ही ज्ञान देना चाहिए. शिशु गर्भ में रहता है, तभी कीर्तन-भजन कथा सुनाने से वह संस्कारी होता है. महाराज के भजन और पाठ से उपस्थित श्रद्धालु झूमने में मजबूर हो रहे हैं. भागवत पाठ से खजूरी सहित आसपास के गांव में भक्तिरस का बयार चल रहा है. भागवत को सुनने के लिए झारखंड एवं पश्चिम बंगाल के श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा है.
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